गर्भावस्था एक ऐसा समय है, जिसमें सतर्कता बरतनी जरूरी होता है। इस नाजुक दौर में छोटी से छोटी भूल के कारण भी शारीरिक समस्या हो सकती है। एक ऐसी ही समस्या स्टमक फ्लू यानी पेट का इंफेक्शन है। इस संक्रमण पर वक्त रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह परेशानी गंभीर हो सकती है। इसके परिणाम स्वरूप मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में इससे जुड़ी जानकारी हासिल करके स्टमक इंफेक्शन से बचा जा सकता। इसी वजह सेमॉमजंक्शनके इस आर्टिकल के जरिए हम प्रेगनेंसी में पेट के इंफेक्शन के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
आर्टिकल में सबसे पहले जानिए कि पेट का इंफेक्शन क्या होता है।
स्टमक फ्लू या पेट का इंफेक्शन (गैस्ट्रोएन्टराइटिस) क्या होता है?
स्टमक फ्लू आंतों की लाइनिंग यानी परत पर होने वाली सूजन है।इसे गैस्ट्रोएन्टराइटिस या पेट का इंफेक्शन भी कहा जाता है।यह कई तरह के वायरस व बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। इस इंफेक्शन के कारण पेट संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जो इसके लक्षण के रूप में नजर आते हैं(1)। इन सभी के बारे में हम आगे विस्तार से बता रहे हैं। गंभीर मामलों में इससे गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान पहुंच सकता है(2)।
पेट में इंफेक्शन के लक्षण जानने के लिए लेख को आगे पढ़ें।
प्रेगनेंसी में पेट में इंफेक्शन होने के लक्षण क्या हैं?
गर्भावस्था में यह ठीक से मालूम होना चाहिए कि समस्या स्टमक फ्लू ही है या फिर पेट से संबंधित अन्य कोई बीमारी। ऐसे में आप पेट में इंफेक्शन के कुछ लक्षणों के बारे में जानकर यह पता लगा सकते हैं(1)(3):
- दस्त होना
- पेट में दर्द
- उल्टी आना
- सिर और शरीर में दर्द
- बुखार आना
- ठंड लगना
- मतली की समस्या
लक्षणों के बाद आगे लेख में हम पेट में इंफेक्शन होने के कारण के बारे में बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी में पेट में इंफेक्शन होने के कारण है?
गर्भावस्था में पेट में संक्रमण होने के कई कारण हो सकते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि पेट में संक्रमण होने के प्रमुख कारण क्या हैं(1)।
- बैक्टीरिया:पेट में इंफेक्शन होने की एक वजह बैक्टीरिया भी है। बैक्टीरिया दूषित भोजन या पानी के माध्यम से पेट में पहुंचकर इंफेक्शन, शिगेलोसिस और हैजा का कारण बनते हैं।
- वायरस: नोरोवायरस, रोटावायरस, एडिनोवायरस जैसे वायरस भी पेट के इंफेक्शन का कारण हैं।
- फंगस:कई प्रकार के फंगस भी पेट के इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं।
- पैरासाइट: भोजन और पानी के माध्यम से पेट तक पहुंचकर पैरासाइट यानी परजीवी भी पेट में इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं।
- संक्रमितव्यक्तिसे:यह एक तरह का संक्रामक रोग है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुए हुए सरफेस को छूने से भी संक्रमण फैलता है।
पेट में इंफेक्शन के कारण के बाद लेख में आगे स्टमक फ्लू के निदान के तरीकों को जानिए।
गर्भावस्था के दौरान पेट में इंफेक्शन का निदान कैसे करें
सही समय पर पेट में इंफेक्शन का पता चलने पर इसे जल्दी ठीक किया जा सकता है। इसी वजह से हम नीचे पेट के इंफेक्शन के निदान के बारे में बता रहे हैं(2)(4):
1. लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री:
डॉक्टर परीक्षण के दौरान पूछ सकते हैं कि पेट के संक्रमण के क्या लक्षण नजर आ रहे हैं और कितने समय से परेशानी हो रही है। चिकित्सक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने और यात्रा से संबंधित सवाल भी पूछ सकते हैं। इसके अलावा, पिछली चिकित्सकीय स्थिति और उसके कारण ली गई दवाओं के बारे में भी डॉक्टर जानकारी लेते हैं।
2. शारीरिक परीक्षण:
शारीरिक परीक्षण के दौरान डॉक्टर निर्जलीकरण के संकेतों को जानने के लिए रक्तचाप और नाड़ी की जांच कर सकते हैं। साथ ही बुखार चेक करने और स्ट्रेटोस्कोप से पेट की जांच करना भी इसमें शामिल है।इसके अलावा, डॉक्टर पेट को हाथों से हल्का दबाकर भी इंफेक्शन का पता लगाने की कोशिश करते हैं।वहीं, जीभ की जांच कर डिहाइड्रेशन का भी पता लगा सकता है।
3. स्टूल टेस्ट:
लेबोरेटरीमेंस्टूलटेस्टकरवाकरभीपेटकेसंक्रमण, सूजन, पाचन संबंधी रोगों और विकारों के लक्षणों की जांच की जा सकती है।
अब पेट में इंफेक्शन के इलाज पर एक नजर डाल लेते हैं।
गर्भावस्था के दौरान पेट में इंफेक्शन का ट्रीटमेंट
गर्भावस्था के दौरान पेट के इंफेक्शन का ट्रीटमेंट उसके लक्षणों पर निर्भर करता है। यहां हम आपको प्रेगनेंसी में पेट के इंफेक्शन के ट्रीटमेंट से संबंधित जानकारी दे रहे हैं(5)।
- दवाएं:जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि इंफेक्शन का कारण बैक्टरिया और वायरस हो सकता है। डॉक्टर इनसे फैलने वाले संक्रमण को राेकने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दे सकते हैं। यहमतली और उल्टी की समस्याके साथ ही संक्रमण को दूर करने के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।
- रिहाइड्रेशन:पेट में इंफेक्शन के कारण शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इससे छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर तरल पदार्थाें के सेवन की सलाह दे सकते हैं।
नोट:डॉक्टर से पूछे बिना किसी भी प्रकार की दवाओं का सेवन न करें। इससे गर्भवती और गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
ट्रीटमेंट के साथ ही स्टमक इंफेक्शन से जुड़ी जटिलताओं के बारे में भी जानना जरूरी है। इसके बारे में आगे पढ़िए।
प्रेगनेंसी में गैस्ट्रोएन्टराइटिस के कारण होने वाली जटिलताएं
गर्भावस्था में सही समय पर पेट के इंफेक्शन का इलाज न किया जाए, तो कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। स्थिति गंभीर होने पर कुछ इस तरह की जटिलताएं हो सकती हैं(2)(6)।
- लो बर्थ वेट
- समय पूर्व प्रसव पीड़ा
- गर्भपात
- समय पूर्व प्रसव होना
- स्टिल बर्थ
जोखिम के बाद हम गर्भावस्था में पेट के इंफेक्शन के घरेलू उपचार के बारे में बता रहे हैं।
प्रेगनेंसी में पेट के संक्रमण के लिए घरेलू उपचार
गर्भावस्था में पेट के संक्रमण को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपायों को अपनाया जा सकता है। आगे हम ऐसे ही कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।
1. साफ पानी पिएं
पेट के संक्रमण का प्रमुख कारण दूषित पानी का सेवन करना है।दूषित पानी के कारण बैक्टेरिया और वायरस सीधा पेट में पहुंचकर संक्रमण की समस्या पैदा कर सकते हैं।संक्रमण से बचने के लिए पानी को उबालकर और छानकर पीना चाहिए या फिर प्यूरिफाइड वाटर पी सकते हैं(7)।
2. दही
दही का सेवनकरने से पेट के संक्रमण की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। शोध में पाया गया है कि दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स गैस्ट्रोएंटराइटिस की समस्या को दूर कर सकते हैं। संक्रमण के साथ ही इसके कारण होने वाली दस्त की समस्या भी ठीक हो सकती है(8)।
3. अदरक
अदरक का सेवनभीपेटकेसंक्रमणकीसमस्यामेंआरामदिलानेमेंमदद कर सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक, अदरक में एंटीमाइक्रोबिएल और एंटीडायरियल प्रभाव होते हैं। अदरक में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव पेट के संक्रमण को दूर कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीडायरियल गतिविधि पेट के संक्रमण के कारण होने वाले डायरिया से आराम दिला सकती है(9)।
4. हल्दी
हल्दीकाउपयोगभीगैस्ट्रोएन्टराइटिसकीसमस्यामेंफायदेमंद हो सकता है। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन कंपाउंड होता है, जो एंटीवायरल गतिविधि प्रदर्शित करता है। इस प्रभाव के कारण नोराेवयरस से बचाव हो सकता है। यह वही वायरस है, जिसके कारण गैस्ट्रोएन्टराइटिस यानी पेट का इंफेक्शन होता है।इसी वजह से माना जाता है कि हल्दी के सेवन से गैस्ट्रोएन्टराइटिस और उसके लक्षणों से कुछ हद तक राहत पाई जा सकती है(10)।
5. हल्का भोजन
पेट के संक्रमण के लक्षणों में जी मिचलाना और उल्टी भी शामिल हैं। ऐसे में अगर भोजन अधिक किया जाए, तो इससे ये लक्षण गंभीर हो सकते हैं। इसी वजह से संक्रमण होने के बाद इस समस्या से राहत पाने के लिए कम मात्रा में भोजन करना फायदेमंद हो सकता है। इससे जी मिचलाने और उल्टी होने की समस्या थोड़ी कम हो सकती है(11)।
6. आराम करें
पेट के संक्रमण को दूर करने के लिए आराम करना भी फायदेमंद हो सकता है। पेट का संक्रमण होने परथकान और कमजोरीमहसूस होती है। इसे दूर करने के लिए आराम करना जरूरी है।आराम के साथ ही पेट का संक्रमण होने पर डॉक्टर केला, चावल, सेब, चाय और टोस्ट के सेवन की सलाह देते हैं, लेकिन कुछ शोध इसे अधिक प्रभावी नहीं मानते(12)।वहीं, इस दौरान चाय पीने से भी माना किया जाता है।
आर्टिकल के इस हिस्से में हम बता रहे हैं कि गर्भावस्था में पेट के इंफेक्शन को कैसे रोका जा सकता है।
प्रेगनेंसी में पेट में इंफेक्शन होने से कैसे रोकें
पेट के इंफेक्शन से बचने के लिएगर्भावस्था के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहींयह जानना जरूरी है। इसी वजह से हम आगे इससे बचाव से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं(1)(13)(14)।
- हाथों को समय-समय पर अच्छे से साफ करें।
- संतुलित आहारऔर पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें।
- सूप और फलों को अपने आहार में शामिल करें।
- संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों का इस्तेमाल न करें।
- दूषित पानी का सेवन न करें।
- कैफीन युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचें। इसमें कॉफी, चाय और सॉफ्ट ड्रिंक शामिल हैं।
- तले हुए खाद्य पदार्थ, पिज्जा और फास्ट फूड का सेवन न करें।
- अधिक समय तक फ्रिज में रखा हुआ और बासी खाना न खाएं। हमेशा ताजा भोजन करें।
- अनहेल्दी और स्ट्रीट फूड का सेवन न करें। इससेपेट की समस्याबढ़ सकती है।
- सारी सब्जियों को अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें।
- पर्सनल हाइजीन का ख्याल रखें।
- अल्कोहल और धूम्रपान के सेवन से बचें।
- कच्चे और पके हुए खाद्य पदार्थों को अलग-अलग सामान जैसे चिमटे, चाकू, कटिंग बोर्ड की सहायता से पकड़ें व काटें।
- खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह से पका कर ही खाएं।
- टॉयलेट और बाथरूम को नियमित रूप से साफ रखें। विशेष तौर पर टॉयलेट सीट, दरवाजे के हैंडल और नल की सतह।
आगे जानते हैं कि गर्भावस्था में पेट का संक्रमण होने पर डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
गर्भावस्था में छोटी से छोटी समस्या की भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। अगर इस दौरान पेट में इंफेक्शन हो जाता है, तो इससे संबंधित किसी भी तरह के लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, अगर बुखार के साथ बार-बार मल त्यागने के लिए बाथरूम जाना पड़े, तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है, इसलिए डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें(5)।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या प्रेगनेंसी में पेट का इंफेक्शन शिशु को प्रभावित करता है?
हां, अगर गर्भावस्था में पेट का संक्रमण गंभीर हो जाए, तो गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है(6)।
गर्भावस्था में पेट के संक्रमण के सभी पहलुओं से संबंधित जानकारी हमने इस लेख में दी है। अब आप समझ ही गए होंगे कि स्टमक इंफ्केशन की अनदेखी करने से किस तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इनसे बचने के लिए बस थोड़ी सी सावधानी बरतने की जरूरत है। आप स्टमक इंफेक्शन से संबंधित सावधानियों, टिप्स और घरेलू उपचार के बारे में ऊपर पढ़कर इससे बचाव कर सकते हैं। हमारी यही कोशिश है कि आप स्वस्थ रहें और अपनी गर्भावस्था को एंजॉय करें, हैप्पी प्रेगनेंसी।
References:
2.Influence of Hospitalization-Requiring Gastroenteritis in Pregnancy on Perinatal OutcomeBy EJMO
3.The Symptoms of NorovirusBy CDC
4.Diagnosis of Viral Gastroenteritis (“Stomach Flu”)By NIH
5.Bacterial GastroenteritisB y NCBI
6.Effect of gastroenteritis during pregnancy on neonatal outcomeBy Pubmed
7.Gastroenteritis In Pregnancy: Relevance and RemedyBy NCBI
8.A comparison between traditional yogurt and probiotic yogurt in non-inflammatory acute gastroenteritisBy Pubmed
9.Acute infective gastroenteritis treated with coriander, ginger and their compound formulationsBy ResearchGate
10.Curcumin Shows Antiviral Properties against NorovirusBy NCBI
11.Gastrointestinal Diseases in Pregnancy; Diagnosis and ManagementBy Gastroenterology: Medicine & Research
12.Viral GastroenteritisBy NCBI
13.Eating, Diet, & Nutrition for Viral Gastroenteritis (“Stomach Flu”)By NIH
14.GastroenteritisBy Betterhealth