मासिक धर्म, जिसे आम भाषा में माहवारी या पीरियड्स भी बोला जाता है। यह हर महिला के जीवन का हिस्सा होता है। इस दौरान उनका शरीर कई तरह के शारीरिक, मानसिक व हॉर्मोनल बदलाव से गुजरता है, जिसके बारे में वो कई बार पूरी तरह समझ नहीं पाती और परेशानी में पड़ जाती हैं। कई महिलाएं इससे जुड़े सवाल पूछने से कतराती हैं। आधुनिक समाज में पीरियड्स को एक सामान्य चीज समझकर, उससे जुड़ी हिचकिचाहट को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुएमॉमजंक्शनके इस लेख में हम माहवारी से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा करेंगे। हम आपको बताएंगे कि मासिक धर्म क्या होते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या होती है और इसे ट्रैक कैसे किया जाता है। वहीं, हम पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं और उनके उपाय भी बताएंगे।
आइए, सबसे पहले समझते हैं कि पीरियड्स क्या होते हैं।
मासिक धर्म की मेडिकल परिभाषा | Period Meaning In Hindi
प्यूबर्टी यानी यौवनावस्था आने के बाद हर युवती के मासिक धर्म शुरू हो सकते हैं। ऐसा 11 से 14 वर्ष के बीच शुरू होता है। इसके बाद युवती का शरीर हर महीने गर्भावस्था के लिए तैयार हो जाता है, लेकिन गर्भावस्था न होने पर गर्भाशय अनफर्टिलाइज्ड अंडों और गर्भाशय के टिश्यू (lining of the uterus) को योनि से रक्तस्त्राव के जरिए बाहर निकालने लगता है। इस प्रक्रिया को माहवारी कहते हैं।मासिक धर्म में होने वाले रक्तस्त्राव में आधी मात्रा रक्त और आधे गर्भाशय के टिश्यू होते हैं।सामान्यतः एक अवधि के दौरान 30-40 मिली लीटर रक्तस्राव होता है। यह बहुत सामान्य प्रक्रिया है और ऐसा हर महिला के साथ होता है(1)।
लेख के अगले भाग में विस्तार से समझिए माहवारी के चक्र के बारे में।
मासिक धर्म चक्र प्रक्रिया | Menstruation Cycle In Hindi
मासिक धर्म की प्रक्रिया को चार चरणों में बांटा गया है, जिस बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है(2):
- 1-7दिन:पीरियड्स के पहले दिन को मासिक धर्म प्रकिया का पहला दिन माना जाता है। यह लगभग तीन दिन से हफ्ते भर तक चल सकता है। इस दौरान गर्भाशय की लाइनिंग (lining of the uterus) जिसे एंडोमेट्रियम भी कहा जाता है, योनि से रक्त्तस्त्राव के साथ बाहर निकल जाता है।
- 8-14दिन:पीरियड्स खत्म हो जाने के बाद अगला चरण शुरू होता है, जिसे फॉलिक्यूलर फेज भी कहते हैं।इस दौरान महिला की ओवरी से 5-20 फॉलिकल निकलते हैं, जिनमें एक-एक अंडा होता है। इनमें से एक फॉलिकल का अंडा आगे जाकर मैच्योर होता है और स्पर्म के साथ मिलकर अगले चरण में गर्भावस्था का कारण बन सकता है। साथ ही गर्भावस्था के लिए गर्भाशय की लाइनिंग मोटी होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
- 15-25दिन:इस चरण को ओव्युलेशन कहा जाता है। इस दौरान महिला गर्भवती होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। लगभग 15वें दिन अंडाशय (ovary) से एक मैच्योर अंडा निकलता है। यह अंडा ओवरी से निकल कर फैलोपियन ट्यूब तक जाता है। वहां यह लगभग 24 घंटे तक सक्रिय रह सकता है। अगर इस दौरान वहफैलोपियन ट्यूबमें स्पर्म से मिलता है, तो महिला गर्भवती हो सकती है। वहीं, अगर यह नहीं मिलता है, तो 24 घंटे बाद वह खत्म हो जाता है। स्पर्म से मिलने की इस प्रक्रिया को निषेचन या फर्टिलाइजेशन भी कहते हैं।
- 25-28दिन:इसचरणकोल्यूटियलफेसभीकहाजाताहै।अगरओव्युलेशन में अंडा फर्टिलाइज हो जाता है, तो शरीर में प्रोजेस्टेरोन और थोड़ी-सी मात्रा एस्ट्रोजन नामक हॉर्मोन का स्तर बढ़ने लगता है।ये दोनों हॉर्मोन गर्भाशय की लाइनिंग (lining of the uterus) को मोटा बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे निषेचित अंडा अपनी जगह पर बना रहता है।वहीं, अगर अंडा फर्टिलाइज नहीं होता, तो इस चरण में प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है। परिणामस्वरूप गर्भाशय की लाइनिंग पहले की तरह सामान्य होने लगती है। यह 28 दिन के पीरियड्स सर्कल के लगभग 22वें दिन के आसपास होता है। इस तरह माहवारी का एक चक्र पूरा हो जाता है और शरीर अन्य चक्र के लिए तैयार होने लगता है।
आगे हम मासिक धर्म के शुरू होने और खत्म होने के संबंध में जानेंगे।
मासिक धर्म कब शुरू होते हैं और कब खत्म होते हैं? | Period Kis Umr Me Aana Chahiye
कबप्रारम्भहोतेहैं:आमतौर पर माहवारी 12 साल की उम्र तक शुरू हो जाती है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सभी का मासिक धर्म इसी उम्र से शुरू हो। यह सिर्फ औसत उम्र है। ये 8 साल से 15 वर्ष के बीच कभी भी शुरू हो सकते हैं। बताया जाता है कि पहले पीरियड की शुरुआत आमतौर पर स्तनों का विकास शुरू होने और प्यूबिक हेयर बढ़ने के दो साल बाद होती है। वहीं, यह भी बताया जाता है कि जिस उम्र में मां के पीरियड्स शुरू होते हैं, बेटी की माहवारी भी लगभग उसी उम्र से शुरू हो सकती है(3)।
कबसमाप्तहोतेहैं:हर महिला को औसतन 40 वर्ष का होने तक माहवारी होती है। इसके बाद महिला को कुछ साल तक पीरियड्स तो आते हैं, लेकिन वो नियमित नहीं होते। इस प्रक्रिया को पेरीमीनोपॉज (Perimenopause) कहा जाता है। इस दौरान शरीर खुद को रजोनिवृत्ति (Menopause) के लिए तैयार करता है। बताया जाता है कि रजोनिवृत्ति तब होती है जब महिला को एक साल तक पीरियड्स नहीं आते। ऐसा 45 से 55 साल की उम्र के बीच हो सकता है(3)।
लेख के अगले भाग में जानिए कि पीरियड्स को ट्रैक कैसे किया जा सकता है।
मासिक धर्म को कैसे ट्रैक करें? | Period Kitne Din Me Aana Chahiye
माहवारी का ट्रैक विभिन्न तरीकों के रखा जा सकता है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है(3):
- आप कैलेंडर पर अपने पीरियड्स शुरू होने की डेट मार्क कर सकती हैं और उसके अनुसार अपने पूरी मासिक चक्र को ट्रैक कर सकती हैं।
- आप पीरियड्स शुरू होने से पहले के लक्षण जैसे – पेट में दर्द, मरोड़, पेट फूलना, शरीर में दर्द, मूड स्विंग्स आदि से पीरियड्स आने का अंदाजा लगा सकते हैं।
- पिछले महीने आपके पीरियड्स कितने दिन चले, उसके अनुसार आप अगले महीने के पीरियड्स का अंदाजा लगा सकते हैं।
- माहवारी का ट्रैक रखने के लिए आपमॉमजंक्शन के पीरियड ट्रैकरका भी उपयोग कर सकते हैं।
आगे हम माहवारी के दौरान नजर आने वाले विभिन्न लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
मासिक धर्म के लक्षण | Period Signs In Hindi
माहवारी में योनि से रक्तस्त्राव मुख्य लक्षण है। इसके अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं, जैसे(1):
- पेट व पेल्विक एरिया में दर्द और ऐंठन
- निचली पीठ और कमर में दर्द
- पेट फूलना
- संवेदनशील स्तन
- फूड क्रेविंग
- मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन
- सिरदर्द और थकान
लेख के अगले भाग में जानिए कि इस दौरान क्या शारीरिक बदलाव होते हैं।
मासिक चक्र के समय शरीर में परिवर्तन | Body Changes During the Menstrual Cycle
मासिक चक्र के 28 दिन के दौरान महिला का शरीर कई तरह के परिवर्तन से गुजरता है, जैसे(2):
- रक्तस्त्राव:मासिक चक्र के पहले हफ्ते में पहला बदलाव होता है, जब योनि से रक्तस्त्राव होता है। इस स्त्राव में खून के साथ-साथ गर्भाशय के टिश्यू भी निकलते हैं। यह 12 साल की उम्र की लड़की के शरीर में एक बड़ा बदलाव होता है।
- ओव्युलेशन:जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि मासिक धर्म का एक चरण ओव्युलेशन भी होता है, जिसमें महिला के गर्भवती होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इस दौरान ओवरी से मैच्योर अंडा निकलता है, जो आगे चलकर स्पर्म से मिलकर गर्भावस्था का कारण बनता है।
- हॉर्मोनलबदलाव:इस दौरान महिला में शारीरिक के साथ-साथ हॉर्मोनल बदलाव भी आते हैं।शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन नामक दो हॉर्मोन का स्तर बढ़ता और घटता है।
- मानसिकबदलाव:जैसा कि माहवारी के लक्षण में हम बता चुके हैं कि इस दौरान मूड स्विंग होना आम बात है। ऐसे में पल-पल में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, रोना व हंसना आदि सामान्य है ((1)।
आने वाले भाग में आप जानेंगे अनियमित रूप से पीरियड्स आने के कारण के बारे में।
मासिक धर्म अनियमित होने के कारण | Irregular Period Problem In Hindi
कई महिलाओं को माहवारी हर महीने नहीं आती। इस अनियमितता के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं, जैसे(4):
- थायराइडकीसमस्या:थायराइड हॉर्मोन माहवारी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। शरीर में थायराइड की बहुत ज्यादा मात्रा हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism) या बहुत कम मात्रा में हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) की समस्या भी अनियमित रूप से पीरियड्स का कारण बन सकती है (5)।
- प्रोलैक्टिनकाउच्चस्तर:प्रोलैक्टिन वह हार्मोन है, जो युवावस्था के दौरान स्तनों के बढ़ने का कारण बनता है और बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान करवाने के लिए दूध का निर्माण करता है। यह मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। इसका स्तर बढ़ जाने से भी अनियमित रूप से पीरियड्स आने की समस्या हो सकती है।
- दवाइयां:कुछ खास दवाइयां जैसे एंग्जायटी और मिर्गी की दवाइयों का सेवन अनियमित माहवारी का कारण बना सकती है।
- पॉलीसिस्टिकओवरीसिंड्रोम(पीसीओएस) :इस समस्या में ओवरी में कई गांठें बनने लगती हैं और हॉर्मोनल असंतुलन होने लगता है। इसलिए,पीसीओएस के कारणभी माहवारी अनियमित हो जाती है।
- प्राइमरीओवेरियनइंसफिशिएंसी(Primary Ovarian Insufficiency) :इस समस्या में महिला के अंडाशय सामान्य रूप से काम नहीं करते। ऐसा कम उम्र में भी हो सकता है और इसमें पीरियड नियमित रूप से नहीं आते।
- पेल्विकइंफ्लेमेटरीडिजीज(Pelvic Inflammatory Disease) :यह प्रजनन अंगों का संक्रमण होता है, जो यौन संचारित संक्रमण के कारण हो सकता है। इसके कारण भी पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।
- स्ट्रेस:कई शोध में यह बात सामने आई है कि अधिक चिंता करना भी पीरियड्स के समय से न आने का कारण बन सकता है।
- मधुमेह:महिलाओं में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज का स्तर उच्च होने के कारण भी पीरियड्स आने की प्रक्रिया अनियमित हो सकती है।
- मोटापा:शरीर में अधिक चर्बी एस्ट्रोजन हॉर्मोन के स्तर को बढ़ा सकती है, जिससे सामान्य मासिक चक्र पर प्रभाव पड़ सकता है और मासिक धर्म अनियमित हो सकता है।
- अनियमितखान–पान:किसी भी कारण से जरूरत से ज्यादा या कम खाना भी इररेगुलर पीरियड्स का कारण बन सकता है।
अगर आपको भी पीरियड्स में बहुत दर्द होता है, तो लेख का अगला भाग खास आपने लिए है।
मासिक धर्म के दर्द के लिए उपचार | Home Remedies For Period Pain In Hindi
कई महिलाओं को इस दौरान बहुत दर्द होता है। ऐसे में वो नीचे बताए गए उपचार को अपना सकती हैं(6):
- निचले पेट पर नाभि के नीचे हॉट वाटर बैग रख कर सिकाई कर सकती हैं।
- पेट में निचले हिस्से में उंगलियों की मदद से सर्कल मोशन में हल्की मसाज करें।
- गर्म पेय पदार्थों का सेवन करती रहें।
- थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ हल्का-फुल्का खाती रहें।
- कुछदेरलेटकरअपनेपैरोंको90डिग्रीतकऊपरउठाएरखें या साइड की करवट लेकर घुटनों को मोड़कर लेटें।
- योगऔरध्यानकरने की कोशिश करें।
- डॉक्टर से परामर्श करके पीरियड शुरू होने से एक दिन पहले से एंटीइंफ्लेमेटरी दवाई जैसे – आइबुप्रोफेन (ibuprofen) ले सकते हैं।इसे पीरियड शुरू होने के बाद दो दिन तक लें। यह दवा सिर्फ डॉक्टर से पूछ कर लें। कोई भी दवा अपने से नहीं लेनी चाहिए।
- विटामिन-बी6, कैल्शियम और मैग्नीशियम के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
- गुनगुने पानी से नहाएं।
- रोज व्यायाम करें।
- वजन ज्यादा होने पर वजन घटाने की कोशिश करें।
अगले भाग में जानिए माहवारी से जुड़ी अन्य समस्याओं के बारे में।
मासिक धर्म और मासिक धर्म चक्र से जुड़ी समस्याएं
हर महीने समय से माहवारी आना एक स्वस्थ शरीर की निशानी है। गर्भवती, स्तनपान करवाने वाली व पेरीमीनोपॉज से गुजरने वाली महिलाओं के अलावा और किसी को भी अनियमित मासिक धर्म होना किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। कुछ मामलों में अनियमित पीरियड्स के कारण गर्भधारण करने में भी समस्या आ सकती है। मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है(4)।
- माहवारीकादर्द:माहवारी के दौरान होने वाले दर्द को डिसमेनोरिया (dysmenorrhea) कहते हैं। पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्या में यह सबसे आम है। कुछ महिलाओं को इस दौरान निचले पेट में अधिक दर्द होता है, जबकि कुछ को ऊपरी हिस्से में। वहीं, कुछ को पीरियड्स आने के दो-तीन पहले से ही दर्द महसूस होने लगता है।
- अनियमितपीरियड्स:अनियमित रूप से पीरियड्स आना माहवारी से जुड़ी समस्याओं में शामिल है। अगर किसी का मासिक चक्र सामान्य से कम या ज्यादा है, तो उसे अनियमित पीरियड्स की श्रेणी में डाला जाता है। इसका मतलब अगर पिछले माहवारी के पहले दिन और अगले माहवारी के पहले दिन के बीच 24 से कम या 38 से ज्यादा दिन का अंतर हो, तो इसे अनियमित पीरियड्स में गिना जाता है।
- असामान्यरक्तस्त्राव:जब रक्तस्त्राव आम माहवारी से अलग होता है या उस दौरान होता है जब पीरियड्स नहीं होते तो उसे असामान्य रक्तस्त्राव माना जाता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जैसे – हॉर्मोनल बदलाव, ओवरी में गांठें और गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा या अंडाशय का कैंसर आदि।
- मासिकधर्ममाइग्रेन:इस दौरान कुछ महिलाओं को बहुत सिरदर्द होता है और इस समस्या को माहवारी माइग्रेन भी कहा जाता है। अभी सटीक तौर पर यह कहना मुश्किल है कि ऐसा क्यों होता है। बताया जाता है कि इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं, जैसे – तनाव, चिंता या तेज रोशनी। वहीं, कुछ मामलों में मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन मस्तिष्क में सिरदर्द से संबंधित केमिकल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
लेख के अगले भाग में आप जानेंगे कि अनियमित माहवारी को कैसे ठीक करें।
पीरियड की अनियमितता को कैसे दूर करें? | Remedies To Regulate Periods In Hindi
पीरियड का समय पर नहीं आना भविष्य में अन्य समस्याओं का भी कारण बन सकता है। इसलिए, अनियमित पीरियड्स का समय रहते उपचार करना जरूरी होता है। नीचे बताए गए उपायों की मदद से इस समस्या से कुछ हद तक राहत पाई जा सकती है।
- योगकरें:योग कई शारीरिक समस्याओं का समाधान हो सकता है, जिसमें अनियमित पीरियड्स भी शामिल हैं।एक शोध में यह बात सामने आई है कि प्रतिदिन योग निद्रा का अभ्यास करने से हॉर्मोन का स्तर समान हो सकता है, जिससे अनियमित माहवारी की समस्या से आराम मिल सकती है(7)।
- वजननियंत्रितकरें:मोटापा ऐसी समस्या है, जो अन्य कई गंभीर समस्याओं, जैसे टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग, हाइपरलिपिडिमिया और स्त्री रोग संबंधी समस्याओं की जड़ बन सकती है। इनसे बचने और आराम पाने के लिए ज्यादा वजन वाली महिलाओं को वजन नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है। इससे उनकी माहवारी नियमित रूप से आना शुरू हो सकती है(8)।
- दालचीनीकाउपयोग:जैसा कि अनियमित रूप से पीरियड्स आने के कारण में हम बता चुके हैं कि इसके पीछे एक कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भी हो सकता है। वहीं एक स्टडी से पता चला है कि दालचीनी का उपयोग इस समस्या और अनियमित पीरियड्स जैसे लक्षणों से आराम पाने में मदद कर सकता है(9)।
- विटामिनकीकमी:नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन द्वारा प्रकाशित एक शोध में यह बात सामने आई है कि महिलाओं के शरीर में विटामिन-डी की कमी भी अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकती है। ऐसे में अपने डॉक्टर से बात करने इसके सप्लीमेंट लेने से मदद मिल सकती है(10)।
- मेडिकलट्रीटमेंट:एलोपैथी में ऐसे कुछ ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं, जो अनियमित पीरियड्स का इलाज करने में मदद कर सकते हैं, जैसे कॉन्ट्रासेप्टिव दवाइयां, प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन को नियंत्रित करने के लिए ट्रीटमेंट, अनियमित पीरियड्स के पीछे मौजूद कारण का उपचार आदि। इनकी मदद से हर महीने समय से माहवारी आने में मदद मिल सकती है(11)।
अगले भाग में आप जानेंगे कि माहवारी से जुड़ी समस्याओं के लिए डॉक्टरी सलाह कब लेनी चाहिए।
मासिक धर्म चक्र से जुड़ी समस्याओं के लिए डॉक्टर के पास कब जाएं?
इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आप यह समझ गए होंगे कि सामान्य पीरियड्स क्या होते हैं। ऐसे में अगर आपको लगता है कि आपके नियमित मासिक चक्र में कोई समस्या आ रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें (1)। इस लेख में बताई गई विभिन्न समस्याओं के लिए आप डॉक्टरी इलाज ले सकते हैं, जैसे(4):
- माहवारी में अधिक दर्द होना
- समय से पीरियड्स न आना
- असामान्य रूप से रक्तस्त्राव होना
- इस दौरान ज्यादा सिरदर्द होना
लेख के अगले भाग ने जानिए इस दौरान साफ सफाई रखने से जुड़ी बातें।
पैड/टेम्पोन कितने समय में बदलें? | मासिक धर्म स्वच्छता
कई महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि माहवारी के दौरान पैड या टेम्पोन को कितने समय में बदलना चाहिए। आप इनका उपयोग करते समय नीचे बताई गई बातों का ध्यान रख सकते हैं(3):
- कुछ महिलाएं हर कुछ घंटों में पैड बदलती हैं।
- एक टेम्पोन को 8 घंटे से ज्यादा देर तक उपयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
- मासिक धर्म में उपयोग किए जाने वाले पीरियड कप या स्पंज को दिन में एक या दो बार धोया जा सकता है।
महिलाओं के स्वास्थ्य के नजरिये से पीरियड्स का हर माह आना जरूरी है। अगर किसी महिला को किसी भी कारणवश हर महीने पीरियड नहीं आते, तो इस बारे में डॉक्टर से मिलकर जरूरी इलाज अवश्य करवाएं। साथ ही घर में कुछ आम बातों का पालन करके भी अनियमित माहवारी की समस्या को ठीक किया जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए लाभदायक रहा होगा। पसंद आने पर इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
References:
2.Menstrual cycleby BetterHealth
3.What happens during the typical 28-day menstrual cycle byWomensHealth
4.Period Problemsby WomensHealth
5.Thyroid Diseaseby WomensHealth
6.Painful menstrual periodsby MedlinePlus
7. Impact of Yoga Nidra on menstrual abnormalities in females of reproductive ageby NCBI
8.Obesity with irregular menstrual cycle in young girlsby NCBI
9.Preliminary evidence that cinnamon improves menstrual cyclicity in women with polycystic ovary syndrome: a randomized controlled trialby NCBI
10.Lower plasma 25-hydroxyvitamin D is associated with irregular menstrual cycles in a cross-sectional studyby NCBI
11.What are the common treatments for menstrual irregularitiesby NCBI