एक नए जीवन को दुनिया में लाने की खुशी अनमोल होती है। ऐसे में अगर पता लगे कि गर्भावस्था जुड़वा है, तो गर्भवती होने की खुशी दोगुनी हो जाती है। इस दौरान महिला के जीवन में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। ये बदलाव शारीरिक और मानसिक रूप से गर्भवती की सेहत पर असर डालते हैं, लेकिन वो क्या लक्षण होते हैं, जिनकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भावस्था जुड़वा है? मॉमजंक्शन के इस लेख में हम उन्हीं शुरुआती लक्षणों के बारे में बात करेंगे। साथ ही इस लेख में हम इससे जुड़ी कुछ अन्य बातें, जैसे जुड़वा गर्भावस्था का निदान और उससे जुड़ी जटिलताओं के बारे में भी आपको बताएंगे।
आइए, सबसे पहले आपको बताते हैं जुड़वा गर्भावस्था के लक्षणों के बारे में।
जुड़वा गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण | Pet Me Twins Hone Ke Lakshan
जुड़वा गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण भी लगभग सामान्यगर्भावस्था के शुरुआती लक्षणकी तरह ही होते हैं, जैसे मलती, थकान व वजन में परिवर्तन आदि।फिर भी कुछ लक्षण हैं, जो दोनों में अलग हो सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है(1):
- सामान्य से अधिक उल्टी और मतली
- अधिक भूख लगना
- गर्भावस्थाकेशुरुआतीदिनोंमेंवजनकाअधिकबढ़ना
- स्तनों मेंं अधिक नाजुकता (Breast Tenderness)(2)
आगे जानिए कि जुड़वा गर्भावस्था भ्रूण के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।
जुड़वा गर्भावस्था शिशुओं के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है?
जुड़वा गर्भावस्था के कारणगर्भ में पल रहे शिशु की सेहत पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जैसे(3):
- समय से पहले प्रसव: जुड़वा गर्भावस्था के कई मामलों मेंसमय से पहले प्रसव(प्रीमच्योर डिलीवरी) हो सकता है, जो निओनेटल डेथ (नवजात की मृत्यु) का कारण बन सकता है।
- मालप्रेजेंटेशन :जब गर्भाशय में भ्रूण की स्थिति असामान्य हो जाती है, जिससे भ्रूण उल्टा या किसी अन्य पोजीशन में आ जाता है, तो उसे मालप्रेजेंटेशन कहा जाता है।
- सिंगल फीटस डिमाइस :जब किसी कारणवश गर्भ में किसी एक शिशु की मृत्यु हो जाती है, तो उसे सिंगल फीटस डिमाइस कहा जाता है। इसके बाद, जीवित शिशु के जिंदा रहने की संभावना उस समय से प्रसव के बीच के समय और गर्भावस्था की उम्र पर निर्भर करती है।
- जन्मजात शारीरिक विकृतियां (Congenital Malformations) :जुड़वा गर्भावस्था के कुछ मामलों में शिशुओं के बीच इंटरलॉक ट्विन्स (Interlocked Twin) जैसी विकृतियां सामने आ सकती हैं। इंटरलॉक ट्विन्स में दोनों शिशुओं का शरीर आपस में जुड़ा होता है।
- ट्विन टू ट्विन ट्रांसफ्यूजन सिंड्रोम :जब एक गर्भनाल में होने के कारण एक भ्रूण की ब्लड सप्लाई दूसरे भ्रूण में होने लगती है, तो इसे ट्विन टू ट्विन ट्रांसफ्यूजन सिंड्रोम कहा जाता है।इसके कारण एक भ्रूण में खून की कमी हो जाती है और दूसरे में जरूरत से ज्यादा खून बढ़ सकता है। इसके कारण, कम खून वाले शिशु को एनीमिया हो सकता है, वहीं ज्यादा खून वाले शिशु को उच्च रक्तचाप और हार्ट फेलियर हो सकता है(4)।
लेख के अगले भाग में जानिए कि जुड़वा गर्भावस्था के बारे में कब पता लग सकता है।
गर्भावस्था में जुड़वा बच्चे होने का पता कब चलता है? | Twins Baby Ka Pata Kab Chalta Hai
जुड़वा गर्भावस्था के बारे में पहली तिमाही में ही पता लगाया जा सकता है। यह कुछ टेस्ट और निदान की मदद से किया जा सकता है, जिनके बारे में लेख के अगले भाग में बताया गया है(5)।
नीचे जानिए गर्भावस्था में जुड़वा बच्चे का पता कैसे चल सकता है।
गर्भावस्था में जुड़वा बच्चे होने का पता कैसे चल सकता है?
नीचे बताए गए टेस्ट और निदान की मदद से जुड़वा बच्चे होने की पुष्टि की जा सकती है।
- क्लीनिकल निदान :डॉक्टर स्टेथोस्कोप की मदद से भ्रूण की दिल की धड़कन सुनकर बता सकते हैं कि गर्भाशय में एक भ्रूण है या एक से ज्यादा(6)।
- अल्ट्रासाउंड स्कैन :गर्भावस्था की पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड स्कैन की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में कितने शिशु पल रहे हैं। साथ ही गर्भावस्था और भ्रूण से जुड़ी अन्य जटिलताओं के बारे में भी पता लगाया जा सकता है(7)।
- डॉपलर हार्टबीट काउंट :यह भी एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड हो होता है, जिसमें मशीन की मदद से भ्रूण की दिल की धड़कन सुनी जाती है। इस जांच की मदद से दोनों भ्रूण की धड़कनों को अलग-अलग सुना जा सकता है(8)।
- एमआरआई स्कैन :गर्भावस्था और उससे जुड़ी अन्य जानकारी के लिए एमआरआई स्कैन करने की सलाह दी जाती है। जुड़वा गर्भावस्था में यह अल्ट्रासाउंड स्कैन से ज्यादा बेहतर और साफ नतीजे दिखाने में मदद करती है(9)।
आगे हम बताएंगे कि जुड़वा गर्भावस्था के कारण गर्भवती महिला को किस तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
जुड़वा गर्भावस्था में गर्भवती से जुड़ी जटिलताएं
जुड़वा गर्भावस्था के कारण होने वाले शिशुओं के अलावा गर्भवती महिला को भी कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है(3):
- उच्च रक्तचाप :जुड़वा गर्भावस्था में गर्भवती महिला को उच्च रक्तचाप होने का खतरा बढ़ सकता है, हालांकि एकल गर्भावस्था की तुलना में जुड़वा गर्भावस्था के दौरानप्रीक्लेम्पसिया का खतरा(गर्भावस्था के दौरान अचानक रक्तचाप का बढ़ना) और एक्लेम्पसिया (प्रीएक्लेम्पसिया के साथ दौरे की स्थिति) का स्तर कम रहता है।
- संक्रमण का खतरा :माना जाता है कि जुड़वा गर्भावस्था में गर्भाशय ज्यादा बड़ा होने के कारण गर्भाशय ग्रीवा (cervix) ज्यादा खुल जाती है। इसके कारण भ्रूण की त्वचा का संपर्क महिला की योनी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से हो सकता है। इसके कारण गर्भाशय, एमनियोटिक (Amniotic) और कुछ मामलों में भ्रूण को भी संक्रमण हो सकता है।
- एनीमिया :दो भ्रूण होने के कारण महिला के शरीर में मौजूद आयरन और फोलेट का उपयोग ज्यादा होता है, जिस कारण एनीमिया (खून की कमी) हो सकता है।इसी वजह से उन्हें एकल गर्भवती महिला की तुलना में अधिक आयरन और फोलेट की जरूरत होती है।
- हाइड्रेमनियोस (Hydramnios) :इससमस्यामेंमहिलाकेगर्भाशयमेंमौजूदएमनियोटिकद्रव का स्तर बढ़ जाता है। इसके कारणगर्भवती महिला को सांस की समस्या(Maternal Dyspnea), जन्म के बाद महिला को अधिक रक्तस्त्राव (Postpartum Hemorrhage), समय से पहले प्रसव व मूत्रमार्ग में संक्रमण (Urinary Tract Infection), जैसी समस्याएं हो सकती हैं(10)।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मैं जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती हूं। इस अवधि में मुझे क्या खाद्य पदार्थ खाने चाहिए?
इस दौरान साबुत अनाज, सब्जियां, फल, लो फैट वाले डेयरी उत्पाद और लीन प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है(11)। ये खाद्य पदार्थ आपके स्वास्थ्य को बढ़ावा देंगे और वजन को नियंत्रित करने में सहयोग करेंगे। साथ ही अपने खास डाइट प्लान के बारे में अपने डाइटीशियन से बात जरूर करें।
क्या घर में टेस्ट करने से जुड़वा गर्भावस्था के बारे में गलत परिणाम (False Negative Results)मिल सकते हैं?
घर में गर्भावस्था का परीक्षण करने से सिर्फ यही पता लगाया जा सकता है कि महिला गर्भवती है या नहीं। घर में किए गए टेस्ट की मदद से यह पता लगाना मुश्किल है कि गर्भावस्था एकल है या जुड़वा। इस कारण इसके लिए डॉक्टर से परीक्षण करवाना जरूरी है।
क्या जुड़वा गर्भावस्था के पहले हफ्तों के दौरान रक्तस्राव सामान्य है?
जी हां। गर्भावस्था, खासकर जुड़वा गर्भावस्था के पहले तीन महीनों (पहली तिमाही) में योनी से रक्तस्राव होना आम है। आम होने के बावजूद ऐसा होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है(12)।
इस बात से अब आप अच्छी तरह वाकिफ हो गए होंगे कि जुड़वा गर्भावस्था एकल गर्भावस्था से किस तरह अलग है। आप यह भी समझ गए होंगे कि जुड़वा गर्भावस्था के लक्षण और इस दौरान होने वाली जटिलताएं किस तरह मां और शिशु को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान आप हर तरह की सावधानी बरतें और डॉक्टर से संपर्क बनाए रखें। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
References:
2.Twins, triplets, and other multiplesby Office of Women’s Health, USDHHS
3.A study on risk of twin pregnancyby International Archives of Integrated Medicine
4.Twin-to-twin transfusion syndromeby MedlinePlus
5.Ultrasound surveillance in twin pregnancy: An update for practitionersby NCBI
6.Intermittent auscultation (IA) of fetal heart rate in labour for fetal well‐beingby NCBI
7.The role of ultrasound in multiple pregnancyby NCBI
8.Simultaneous antepartum testing of twin fetal heart ratesby NCBI
9.超声和MRI发现双胞胎妊娠with Complete Hydatidiform Mole and Coexisting Normal Fetus: Two Case Reportsby NCBI
10.Polyhydramnios : Causes, Diagnosis and Therapyby NCBI
11.Tracking Your Weightby CDC
12.Vaginal bleeding in pregnancyby MedlinePlus