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गर्भावस्था में किशमिश/मुनक्का खाने के 5 फायदे | Pregnancy Me Kishmish Khane Ke Fayde

किशमिश को स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। इसमें मौजूद प्राकृतिक मिठास के कारण कुछ लोग इसे चीनी के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि गर्भावस्था में किशमिश और मुनक्का खाना चाहिए या नहीं। इस परेशानी से बाहर निकालने में यह आर्टिकल आपकी मदद कर सकता है। किशमिश और मुनक्का दोनों अंगूर से ही बनाए जाते हैं। इसलिए, इन दोनों के पोषक तत्व लगभग एक सामान होते हैं(1)। किशमिश को छोटे अंगूर से और मुनक्का को बड़े अंगूर से बनाया जाता है। किशमिश और मुनक्का में अंतर बस इतना है कि मुनक्का में छोटे-छोटे बीज होते हैं, जिसे खाने से पहले निकाला जाता है।मॉमजंक्शनके इस आर्टिकल में हम गर्भावस्था में कितनी मात्रा में किशमिश या मुनक्का खाना सुरक्षित है और गर्भावस्था में किशमिश या मुनक्का खाने के फायदे के साथ ही गर्भावस्था में किशमिश या मुनक्का खाने के नुकसान के बारे में भी जानकारी देंगे।

आर्टिकल के पहले भाग में जानेंगे कि गर्भावस्था के दौरान किशमिश का सेवन करना कितना सुरक्षित है।

In This Article

क्या गर्भावस्था के दौरान किशमिश/मुनक्का का सेवन करना सुरक्षित है? | Munakka In Pregnancy In Hindi

जी हां, गर्भावस्था के समय किशमिश या मुनक्का का सेवन सुरक्षित हो सकता है। किशमिश या मुनक्का का उपयोग गर्भावस्था के समय मीठे पदार्थ के पौष्टिक विकल्प के रूप में किया जा सकता है(2)। इसका सेवन गर्भावस्था की कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। इसके बारे में नीचे हम विस्तार से बता रहे हैं।

आगे हम बता रहे हैं कि गर्भावस्था के दौरान कितनी किशमिश खानी चाहिए।

गर्भावस्था में कितनी मात्रा में किशमिश खाना सुरक्षित है?

गर्भवती स्नैक्स के रूप में 30 ग्राम तक ड्राई फ्रूट का सेवन कर सकती है।इन ड्राई फ्रूट में किशमिश और मुनक्का भी शामिल है।इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि 30 ग्राम किशमिश या मुनक्का का सेवन सुरक्षित होता है(3)। वैसे प्रत्येक गर्भवती की स्वास्थ्य स्थिति अलग-अलग होती है। इसलिए, गर्भवती को किशमिश या मुनक्का की उचित मात्रा जानने के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

अब आगे जानेंगे कि प्रेगनेंसी में किशमिश या मुनक्के को कब खाना सही है।

प्रेगनेंसी में मुनक्का खाने का सबसे अच्छा समय कब है?

गर्भावस्था में इसका सेवन कब करना चाहिए, इसको लेकर कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। आम धारणा यही है कि इसका सेवन गर्भावस्था के शुरुआत से ही किया जा सकता है। वहीं, जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे इसके सेवन की मात्रा को कम कर देना चाहिए।गर्भावस्था के दौरान किशमिश या मुनक्के का उपयोग शिशु के विकास में मददगार साबित हो सकता है।फिर भी गर्भधारण करने के बाद इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेना उचित होगा ।

लेख के अगले हिस्से में हम किशमिश में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी दे रहे हैं।

किशमिश के पोषक तत्व

किशमिश और मुनक्का में लगभग एक सामान पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए जरूरी होते हैं। प्रति 100 ग्राम किशमिश और मुनक्का में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का मूल्य कुछ इस प्रकार है(1):

  • पानी: 16.57 g
  • ऊर्जा: 296 kcal,
  • प्रोटीन: 2.52 g,
  • फैट: 0.54 g,
  • कार्बोहाइड्रेट: 78.47 g
  • फाइबर: 6.8 g
  • विटामिन सी: 5.4 mg,
  • थायमिन: 0.114 mg,
  • राइबोफ्लेविन: 0.182 mg,
  • नियासिन: 1.114 mg,
  • विटामिन बी-6: 0.188
  • फोलेट: 3 µg
  • पोटैशियम: 825 mg
  • सोडियम: 28 mg
  • कैल्शियम: 28 mg
  • आयरन: 2.59 mg,
  • मैग्नीशियम:30毫克,
  • फॉस्फोरस: 75 mg
  • जिंक: 0.18 mg

अब आगे आप जानेंगे कि गर्भावस्था में किशमिश और मुनक्का क्यों फायदेमंद है।

गर्भावस्था के दौरान किशमिश के स्वास्थ्य लाभ

गर्भावस्था के समय किशमिश या मुनक्का के सेवन करने पर गर्भवती और होने वाले शिशु को कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। इन दोनों में एक सामान पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए दोनों के लाभ भी एक सामान हैं।

  • एनीमिया से राहत-गर्भावस्था के दौरान शरीर में आयरन की कमी होने परएनीमिया की समस्याहो सकती है। ऐसे में शरीर में आयरन की पूर्ति करना जरूरी होता है। आयरन लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने का काम कर सकता है, ताकि एनीमिया की समस्या से छुटकारा पाया जा सके। वहीं, किशमिश और मुनक्का दोनों में आयरन पाया जाता है(4)। इसलिए, किशमिश या मुनक्का को गर्भावस्था के समय फायदेमंद माना जा सकता है।
  • कब्ज की समस्या से छुटकारा-गर्भावस्था के समय हार्मोनल परिवर्तन के कारण कब्ज की समस्या हो सकती है। इसके अलावा,गर्भावस्था में कब्जहोने के अन्य कारणों में कम शारीरिक गतिविधि, फाइबर और तरल पदार्थ के सेवन में कमी भी शामिल है। शरीर को पर्याप्त मात्रा में फाइबर की पूर्ति करने पर कब्ज की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।किशमिश और मुनक्का में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिससे कब्ज की समस्या कुछ हद तक ठीक हो सकती है(5)
  • जन्म दोष को रोकने के लिए-कई शिशुओं को गर्भ में ही समस्या होने लगती है। ऐसे ही एक समस्यान्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (तंत्रिका ट्यूब दोष)की भी है। इसे पर्याप्त मात्रा में फोलेट यानी फोलिक एसिड का सेवन करके रोका जा सकता है(6)। शिशु को इस समस्या से बचाने के लिए किशमिश और मुनक्का का भी सेवन किया जा सकता है, क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में फोलिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा, फोलिक एसिड युक्त आहार सामान्य लोगों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है(1)
  • हड्डियों के लिए-गर्भावस्था के समय कैल्शियमयुक्त खाद्य पदार्थ के सेवन करने पर हड्डियों को मजबूती मिल सकती है। कैल्शियम से जहां गर्भवती की हड्डियां मजबूत होती हैं, वहीं भ्रूण की हड्डियों के निर्माण में भी सहायता मिलती है। इससे बोन डेंसिटी (हड्डियों के घनत्व) को बनाए रखने में मदद मिल सकती है(7)किशमिश और मुनक्का में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है(1)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि किशमिश या मुनक्का हड्डियों की मजबूत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • शरीर को ऊर्जा देने के लिए-किशमिश और मुनक्का को ऊर्जा का भी अच्छा स्रोत माना जाता है, जो गर्भावस्था के दौरान शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम कर सकता है। इससे गर्भावस्था के समय होने वाली कमजोरी को दूर किया जा सकता है(1)

लेख के अगले भाग में हम प्रेगनेंसी में किशमिश या मुनक्का के दुष्प्रभाव बता रहे हैं।

प्रेगनेंसी में किशमिश/मुनक्का खाने के साइड इफेक्ट

जिस तरह किशमिश या मुनक्का के सेवन से गर्भवती को फायदे हो सकते हैं। उसी तरह कई बार इसके सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:

  • अधिक मात्रा में किशमिश या मुनक्का के सेवन से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि किशमिश को हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों में गिना जाता है। इसके अधिक सेवन सेगर्भावधि मधुमेह का जोखिमपैदा हो सकता है(8)
  • किशमिश और मुनक्का में अधिक मात्रा में कैलोरीज होने के कारण गर्भवती का वजन बढ़ सकता है। फिर डिलीवरी के बाद वजन कम करने के लिए बहुत मेहनत करनी पढ़ सकती है।
  • जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि अधिक मात्रा में किशमिश या मुनक्का के सेवन करने पर गर्भवती महिला को मधुमेह की समस्या हो सकती है।इतना ही नहीं, उससे होने वाले शिशु को भी मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज की समस्या हो सकती है(9)

आइए, अब यह जान लेते हैं कि प्रेगनेंसी में किशमिश और मुनक्का को कैसे खाया जा सकता है।

प्रेगनेंसी में मुनक्का को अपने आहार में कैसे शामिल कर सकते हैं?

गर्भावस्था के दौरान किशमिश का सेवन कई तरह से किया जा सकता है। इनमें से प्रमुख तरीकों के बारे में नीचे बताया गया है।

  • मुट्ठी भर किशमिश को लगभग एक घंटे तक ठंडे पानी में भिगोकर रखे। फिर पानी को छानकर गर्म दूध में किशमिश को मिलाकर खा सकते हैं।
  • किशमिश, नट्स और सूखी खुबानी को मिलाकर मिक्स ड्राई फ्रूट की तरह सेवन किया जा सकता है।यह नाश्ते का अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
  • सामान्य तरीके से भी किशमिश का सेवन किया जा सकता है।
  • किशमिश को हलवे में मिलाकर खाया जा सकता है।
  • इसे खीर के साथ भी खाया जा सकता है।

जिस तरह किशमिश को कई तरह से सेवन किया जा सकता है। उसी तरह मुनक्का को भी अनेक तरह से खाने में उपयोग कर सकते हैं। जो इस प्रकार है:

  • मुनक्का को धोकर उसके बीज को निकालकर खाया जा सकता है।
  • मुनक्का को भिगोकर इसके बीज निकालकर दूध में मिलकर खा सकते हैं।
  • मुनक्के को पानी में पूरी रात भिगोकर सुबह शहद के साथ खाया जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या किशमिश को पानी में भिगो कर खा सकते हैं?

जी हां, गर्भावस्था के समय किशमिश को पानी में भिगोकर ही खाना सही रहता है।

क्या गर्भावस्था के दौरान दूध के साथ मुनक्का (किशमिश) खा सकते हैं?

जीहां,गर्भावस्थाकेदौरानदूधकेसाथमुनक्केकासेवन किया जा सकता है। फिर भी मुनक्के को इस प्रकार खाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

इस आर्टिकल को पढ़ने से यह स्पष्ट हो गया है कि किशमिश का सेवन करना गर्भवती के लिए लाभदायक है। इसका सेवन न सिर्फ गर्भवती के लिए, बल्कि होने वाले शिशु को भी कई समस्या से दूर रख सकता है। अगर आप गर्भवती हैं, तो किशमिश को आहार में शामिल कर सकती हैं, लेकिन उससे पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। आप इस आर्टिकल को अपनी परिचित अन्य गर्भवती महिलाओं के साथ भी शेयर कर सकती हैं। हमें आशा है कि हमारे आर्टिकल में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर आप इस विषय में कुछ और पूछना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद से हमसे पूछ सकते हैं। हम जल्द से जल्द वैज्ञानिक प्रमाण सहित जवाब देंगे।

References:

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