check_iconFact Checked

प्रेगनेंसी में शहद खाना चाहिए या नहीं? | Honey In Pregnancy In Hindi

शहद स्वाद में मीठा और पोषण से भरपूर होता है। अपने खास मीठे स्वाद के चलते यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को बहुत लुभाता है। ऐसे में बात जब गर्भवती महिलाओं की हो, तो वह भी कहां पीछे रहने वाली हैं। आखिर गर्भावस्था समय ही कुछ ऐसा है, जब महिलाओं में तरह-तरह की चीजें खाने की तीव्र इच्छा जगती है। ऐसे में यह जान लेना जरूरी होगा कि गर्भावस्था में शहद कितना सुरक्षित है और इस दौरान इसे खाने के क्या फायदे व नुकसान हो सकते हैं। यही वजह है किमॉमजंक्शनके इस लेख में हम शहद से जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी देने जा रहे हैं, ताकि आप खुद तय कर सकें कि गर्भावस्था में यह आपके लिए सुरक्षित रहेगा या नहीं।

तो आइए, गर्भावस्था में शहद सुरक्षित है या नहीं, सबसे पहले हम इसी विषय पर चर्चा कर लेते हैं।

In This Article

क्या गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करना सुरक्षित है? | Pregnancy Me Shahad Khana Chahiye

अगर गर्भावस्था में शहद का सेवन संयमित मात्रा में किया जाता है, तो इसे इस दौरान सुरक्षित माना जा सकता है।दरअसल, एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में माना गया है कि अपने बेहतरीन एंटीबैक्टीरियल गुण के कारण अल्जीरियन शहद गर्भावस्था में मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) को दूर कर सकता है और पूरी तरह से सुरक्षित है(1)वहीं, विशेषज्ञ भी शहद को गर्भावस्था में सुरक्षित मानते हैं(2)। साथ ही ध्यान देने वाली बात यह है कि गर्भावस्था में हमेशा परिष्कृत यानी पाश्चराइज्ड शहद को ही उपयोग में लाया जाए, क्योंकि बिना रिफाइन शहद में क्लोस्ट्रीडिया स्पोर्स (clostridia spores) नाम के कुछ हानिकारण बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं। यह आंतों के विकार की स्थिति में बोटूलिज्म (खाद्य पदार्थ में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया के कारण होने वाली विषाक्तता) के जोखिम का कारण बन सकते हैं(3)

लेख के अगले भाग में हम गर्भावस्था में ली जाने वाली शहद की संतुलित मात्रा के बारे में जानेंगे।

गर्भावस्था में कितनी मात्रा में शहद खाना सुरक्षित है?

सामान्य रूप से दिन में करीब 20 ग्राम तक शहद लेने की सलाह दी जाती है, जो प्रतिदिन में आवश्यक ऊर्जा का करीब 3 प्रतिशत भाग पूरा कर सकती है(4)। वहीं, गर्भावस्था में शहद के उपयोग से संबंधित एक शोध में दिन में दो बार 10 एमएल शहद को सुरक्षित माना गया है(5)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि करीब 20 ग्राम या 20 एमएल शहद एक संतुलित मात्रा है, जिसे सुरक्षित माना जा सकता है। फिर भी सुरक्षा के नजरिए से गर्भावस्था में सेवन से पूर्व एक बार डॉक्टर से जरूर सुनिश्चित कर लें कि आपके लिए शहद की सुरक्षित मात्रा क्या होगी।

अब हम गर्भावस्था में शहद खाने के सबसे अच्छे समय के बारे में जानेंगे।

गर्भावस्था में शहद खाने का सबसे अच्छा समय कब है?

लेख में पहले ही इस बात को बताया जा चुका है कि शहद गर्भावस्था में सुरक्षित है और इसे संतुलित मात्रा में लिया जा सकता है। हालांकि, गर्भावस्था की किस तिमाही में इसका सेवन अत्यधिक उपयोगी है, इस संबंध में कोई स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नही है। हां,शहद से संबंधित एक शोध में इस बात का जिक्र जरूर मिलता है कि गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में महिलाओं को होने वाली कब्ज की समस्या में यह उपयोगी साबित हो सकता है(5)अच्छा होगा इस विषय में डॉक्टरी परामर्श लिया जाए।

लेख के अगले भाग में अब हम आपको शहद में मौजूद पोषक तत्वों से जुड़ी जानकारी देंगे।

शहद के पोषक तत्व

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम शहद में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जान सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं(6)

  • 100 ग्राम शहद में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और प्रोटीन के साथ करीब 304 किलो कैलोरी ऊर्जा मौजूद रहती है।
  • वहीं, मिनरल्स की बात करें तो 100 ग्राम शहद में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोस्फोरस, सोडियम और पोटेशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जिसमें पोटेशियम की मात्रा सबसे अधिक है।
  • विटामिन के मामले में भी यह पीछे नहीं है। इसमें विटामिन सी, राइबोफ्लेविन, नियासिन, पैंटोथैनिक एसिड, विटामिन बी-6 और फोलिक एसिड पाया जाता है। इनमें से 100 ग्राम शहद में विटामिन सी की मात्रा सबसे अधिक होती है।

आगे आप जानेंगे कि गर्भावस्था में शहद खाने से क्या-क्या लाभ हो सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान शहद के स्वास्थ्य लाभ | Benefits Of Honey In Pregnancy In Hindi

लेख के इस भाग में हम आपको शहद के कुछ स्वास्थ्य लाभ के बारे में विस्तार से बताएंगे। इससे आप गर्भावस्था में शहद की उपयोगिता आसानी से समझ पाएंगे।

  1. प्रतिरोधकक्षमताकोबढ़ाएशहद का उपयोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने का काम कर सकता है। इस बात की पुष्टि शहद के स्वास्थ्य लाभ से जुड़े एनसीबीआई के एक शोध से होती है। शोध में माना गया है कि शहद का सेवन एससीएफए (शार्ट-चेन फैटी एसिड) के उत्पादन को बढ़ावा दे सकता है। वहीं, एससीएफए प्रतिरोधक क्षमता के सुधार में सहायक हो सकता है(7)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि शहद का सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
  1. अनिद्रासेराहतदिलाएआयुर्वेद में लंबे समय से शहद को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। इन्ही समस्याओं में अनिद्रा की समस्या भी शामिल है। शहद से जुड़े एनसीबीआई के एक शोध में भी इस बात का साफ जिक्र मिलता है।इस शोध में माना गया है कि शहद में हिप्नोटिक (नींद को बढ़ावा देने वाला) प्रभाव पाया जाता है, जोअनिद्रा की समस्यामें राहत दिलाने का काम कार सकता है(8)फिलहाल, इस विषय में अभी और शोध की आवश्यकता है।
  1. सर्दीजुकामसेदिलाएआरामशहद के प्राचीन उपचार से संबंधित एक शोध में जिक्र मिलता है कि इसमें एंटीवायरल प्रभाव पाए जाते हैं, जो कि वायरस इन्फेक्शन से बचाव का काम कर सकते हैं। वहीं, शोध में यह भी माना गया है कि शहद का उपयोग कर खांसी की समस्या में भी राहत मिल सकती है(8)। वहीं, एनसीबीआई पर प्रकाशित एक जर्नल में भी इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि बच्चों की बहती नाक और खांसी में शहद का उपयोग फायदेमंद साबित हो सकता है(9)। इस आधार पर यह माना जा सकता है किगर्भावस्था में सर्दी-जुकामसे बचाव के लिए इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
  1. गलेकेइन्फेक्शनमेंदिलाएआरामलेख में पहले ही बताया जा चुका है कि शहद सर्दी-जुखाम के साथ खांसी की समस्या में भी राहत दिला सकता है। वहीं, शहद से जुड़े एक शोध में सीधे तौर पर इसे गंभीर खांसी और गले की चुभन व खराश को दूर करने में मददगार माना गया है। इतना ही नहीं, यह रूबेला वायरस के प्रभाव (श्वसन तंत्र का संक्रमण) से बचाव करने में भी सहायक हो सकता है, जिसके कारण सर्दी खांसी की समस्या हो सकती है(8)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सामान्य गले के इन्फेक्शन के कारण होने वाली खांसी में भी यह आराम दिला सकता है।
  1. अल्सरऔरपाचनसेसंबंधितविकारमेंसहायकअल्सरऔरपाचनसेसंबंधितविकारमेंभीशहदकाउपयोगलाभदायक साबित हो सकता है। इस बात का प्रमाण शहद से जुड़े एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध में मिलता है। शोध में माना गया है कि शहद गैस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) और ड्यूडेनिटिस (छोटी आंत के अगले भाग में सूजन) में राहत दिला सकता है। साथ ही इसमें अल्सर से बचाव का गुण भी पाया जाता है, जिसके कारण यह पेट के अल्सर के साथ ही शरीर के अन्य भागों में होने वाले अल्सर से भी बचाव कर सकता है(8)। वहीं, एक अन्य शोध में इसे गर्भावस्था में होने वालीकब्ज की समस्यामें भी कारगर माना गया है(5)
  1. एलर्जीसेकरेबचावआयुर्वेदकेएकजर्नलकेमुताबिकशहदमेंएंटीएलार्जेंट (एलर्जी को दूर करने वाला) गुण मौजूद होता है(9)। इस गुण के कारण माना जा सकता है कि शहद का नियमित उपयोग करने से कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी का जोखिम कुछ हद तक कम हो सकता है।

लेख के अगले भाग में अब हम गर्भावस्था में शहद के नुकसान के बारे में बात करेंगे।

गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के साइड इफेक्ट

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम गर्भावस्था में शहद के नुकसान के बारे में जान सकते हैं।

  • जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या में शहद न लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस स्थिति में इसका सेवन शुगर लेवल को बढ़ा सकता है (10)।
  • जरूरत से अधिक शहद का सेवन कुछ मामलों में पेट में दर्द, गैस और ऐंठन का कारण बन सकता है(11)
  • शहद में प्राकृतिक शुगर की मौजूदगी के कारण इसका अधिक सेवन दांतों में कैविटी का कारण बन सकता है(12)
  • हालांकि, शहद का सेवन वजन को घटाने में मददगार हो सकता है(13), लेकिन शुगर की मौजूदगी के कारण इसका जरूरत से अधिक सेवन वजन बढ़ाने का काम भी कर सकता है (14)। यही वजह है कि अधिक वजन वाले लोगों को इसके ज्यादा सेवन से बचना चाहिए।

लेख के अगले भाग में हम आपको शहद का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताएंगे।

शहद का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

शहद का सेवन करते वक्त निम्न सावधानियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जो इस प्रकार हैं:

  • कुछ विशेष दवाओं के साथ शहद के दुष्प्रभाव (रक्तस्त्राव और लिवर की कार्यशैली का बिगड़ना) देखने को मिल सकते हैं। इसलिए, इसके इस्तेमाल से पूर्व अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें(15)
  • शहद को हमेशा गुनगुने पानी के साथ ही इस्तेमाल करना चाहिए।इसे इस्तेमाल करने के लिए कभी गर्म पानी को प्रयोग में न लाएं क्योंकि इससे शहद के पोषक तत्व कम हो सकते हैं।

लेख के अगले भाग में अब हम शहद को अपने आहार में शामिल करने के तरीके के बारे में बताएंगे।

शहद को अपने आहार में कैसे शामिल कर सकते हैं?

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम शहद का सेवन करने के तरीकों के बारे में जान सकते हैं।

  • एक गिलास गुनगुने दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
  • चाहें, तो एक गिलास गुनगुने पानी के साथ भी इसे पी सकते हैं।
  • चाहें, तो एक बड़ा चम्मच शहद सीधे खाने के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं।
  • सलाद के ऊपर भी शहद को डालकर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

शुद्धयापाश्चराइज्डशहद,गर्भावस्थामेंक्याबेहतरहै?

लेख में ऊपर विस्तार से बताया गया है कि गर्भावस्था में हमेशा पाश्चराइज्ड शहद को ही उपयोग में लाया जाना चाहिए।

गर्भावस्थाकेदौरानशहदखानेसेकिसेबचनाचाहिए?

अधिक वजन और जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या से पीड़ित लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए। इसके संबंधित में विस्तृत जानकारी आपको लेख में ऊपर मिलेगी।

यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर गर्भावस्था में सीमित मात्रा में शहद का सेवन किया जाए, तो यह फायदेमंद होता है। बेशक, इसके सेवन से आप कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर रखने में सफल हो सकते हैं। फिर भी, इसके अधिक सेवन से होने वाले दुष्परिणामों पर गौर करना न भूलें। साथ ही इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें, क्योंकि सभी की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है। गर्भावस्था से जुड़े अन्य विषयों के संबंध में जानने के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

References:

MomJunction's articles are written after analyzing the research works of expert authors and institutions. Our references consist of resources established by authorities in their respective fields. You can learn more about the authenticity of the information we present in oureditorial policy.
Was this article helpful?
The following two tabs change content below.