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क्या गर्भावस्था में ब्लीडिंग होती है? | Kya Pregnancy Me Bleeding Hoti Hai

गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होने के साथ-साथ कुछ अन्य चीजें भी हो सकती है। इन्हीं में से एक है गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग होना।इसे खून के धब्बे आना भी कहा जाता है। हालांकि, शुरुआत में थोड़ी-बहुत ब्लीडिंग होना चिंता का कारण नहीं है, लेकिन कुछ गर्भवती महिलाएं इससे घबरा जाती हैं।मॉमजंक्शनके इस लेख में इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे। हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि कब ब्लीडिंग होना सामान्य है और कब चिंता का विषय। साथ इस समस्या से निपटने के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार भी जानेंगे।

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क्या गर्भावस्था के दौरान खून आना आम है? | Kya Pregnancy Me Bleeding Hoti Hai

गर्भावस्था में योनी से ब्लीडिंग होना आम बात है। खासतौर से अगर प्रेगनेंसी के शुरुआती दौर में ब्लीडिंग होती है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। हां, अगर ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है, तो आप डॉक्टर के पास जाकर जांच जरूर करवाएं। वहीं, अगर दूसरी और तीसरी तिमाही में भी योनी से रक्तस्राव हो रहा है, तो यह सामान्य नहीं है। आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए(1)

कुछलक्षणऐसेहोतेहैं,जोरक्तस्रावकीओरइशाराकरते हैं। आइए, इस बारे में जान लेते हैं।

गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव के लक्षण

गर्भावस्था में रक्तस्राव होने से पहले निम्न प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं। जरूरी नहीं कि सभी महिलाओं में एक जैसे लक्षण ही नजर आएं।

  • कुछ महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है।
  • वहीं, कुछ महिलाओं कोअस्थानिक गर्भावस्था यानी एक्टोपिक प्रेगनेंसी जैसी समस्या हो सकती है।

अब हम रक्तस्राव होने के कारणों के बारे में बात करेंगे।

गर्भावस्था में ब्लीडिंग होने के कारण

गर्भावस्था में ब्लीडिंग होने के कई कारण हो सकते हैं। इसे हम तीनों तिमाही के आधार पर बता रहे हैं(1)(2)

  1. पहली तिमाही
  • गर्भपात :इसमें भ्रूण की गर्भ में ही मौत हो जाती है।
  • इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग –इसमें हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है।
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी :जब अंडा गर्भाशय के बाहर फेलोपियन ट्यूब में निषेचित हो जाता है। शुरुआती महीनों में इसकी आशंका सबसे ज्यादा होती है।
  • वेसिक्यूलर मोल :इसे हाइड्रेटिफॉर्म मोल भी कहते हैं। इसमें निषेचित अंडे का विकास असामान्य रूप से होता है या फिर प्लेसेंटा (अपरा) में टिशू का निर्माण जरूरत से ज्यादा होता है।
  1. दूसरी व तीसरी तिमाही
  • प्लेसेंटा प्रिविया :प्लेसेंटा भ्रूण को गर्भाशय से जोड़ता है, लेकिन कुछ मामलों में प्लेसेंटा नीचे जाकर ग्रीवा को ढक देता है। इस वजह से ब्लीडिंग हो सकती है।
  • समय पूर्व डिलीवरी :20 से 37वें हफ्ते के दौरान डिलीवरी की आशंका होने पर भी रक्तस्राव हो सकता है।
  • प्लेसेंटा का अलग होना :कुछ मामलों में प्लेसेंटा डिलीवरी से पहले ही गर्भाशय से अलग हो जाता है। यह भी रक्तस्राव का कारण बन सकता है।
  • रक्त वाहिकाओं का फटना :जब भ्रूण की रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं, तो उससे भी ब्लीडिंग हो सकती है। इन रक्त वाहिकों के जरिए ही मां से बच्चे में रक्त का संचार होता है।

यह जानना भी जरूरी है कि गर्भावस्था में ब्लीडिंग होने पर उसका निदान कैसे किया जाता है।

गर्भावस्था के दौरान योनि रक्तस्राव का निदान

गर्भावस्था के दौरान असामान्य रक्तस्राव का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न प्रक्रियाओं काे अपनाते हैं(3):

  1. मेडिकल हिस्ट्री
  • डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं कि क्या शारीरिक संबंध बनाते समय पेट में दर्द या ऐंठन जैसी कोई समस्या हुई थी।
  • डॉक्टर आपके रक्तस्राव से संबंधित कुछ सवाल पूछ सकते हैं।
  • धूम्रपान व शराब पीने की आदत के बारे में पूछ सकते हैं।
  • इसके अलावा, आपसे पूर्व की गर्भावस्था से जुड़े कुछ प्रश्न जैसे सीजेरियन डिलीवरी, प्लेसेंटा प्रिविया, समय पूर्व प्रसव आदि की जानकारी ले सकते हैं।
  1. शारीरिक जांच
  • आपके पेट व गर्भाशय के आकार को चेक किया जाएगा।
  • क्या आपके नाक व मलाशय से रक्त निकलता है या नहीं, इसका भी पता लगाया जाएगा।
  • गर्भाशय के जरिए पता लगाया कि रक्तस्राव एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारण हो रहा है या फिर गर्भपात के कारण।
  • डॉक्टर के लिए यह जानना भी जरूरी है कि रक्तस्राव व पेट में दर्द कितना हो रहा है।
  • अगर गर्भावस्था के अंतिम समय में प्लेसेंटा प्रिविया की समस्या है, तो पेट का अल्ट्रासाउंड किया जाएगा। अगर अल्ट्रासाउंड में प्रिविया के बारे में पता नहीं चलता है, तो स्टेराइल स्पेकुलम योनि परीक्षण किया जाएगा। अगर यह जांच भी सामान्य रहती है, तो डिजिटल
  • जांच की जाएगी। साथ ही भ्रूण की ह्रदय गति भी चेक की जाएगी।
  1. लैब टेस्ट
  • यूरीन ट्रेक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) है या नहीं, इसकी जांच की जाएगी।गर्भावस्था में यूटीआईकी समस्या होने पर गर्भपात का अंदेशा बढ़ जाता है।
  • नियमित रूप से रक्त की गणना की जाएगी, ताकि पता लगाया जा सके कि कितना रक्तस्राव हो चुका है।
  • क्वांटिटेटिव ब्लड सीरम टेस्ट (एचसीजी) भी किया जाएगा। यह टेस्ट खून में एचसीजी की सही मात्रा को बताने में सक्षम है। डॉक्टर, इस टेस्ट की मदद से बता सकते हैं कि आपकी प्रेगनेंसी सही चल रही है या नहीं(4)
  1. अल्ट्रासाउंड
  • इससे पता लगाया जा सकता है किएक्टोपिक प्रेगनेंसीतो नहीं है। साथ ही पता लगाया जाता है कि श्रोणि में तो रक्त नहीं है।
  • गर्भावस्था के अंतिम समय में प्लेसेंटा प्रिविया का पता लगाया जा सकता है।
  • प्लेसेंटल अब्रप्शन का पता लगाया जा सकता है।
  • रक्त वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह का पता लगाने के लिए विशेष प्रकार के अल्ट्रासाउंड (डॉपलर) का इस्तेमाल किया जा सकता है।

अब हम इस समस्या के लिए किए जाने वाले उपचार के बारे में बता रहे हैं।

गर्भावस्था के शुरुआत में रक्तस्राव के लिए उपचार

पहली तिमाही में रक्तस्राव के लिए उपचार

  1. एक्टोपिक प्रेगनेंसी :अल्ट्रासाउंड से एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारणों का पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर आपको दवाइयां दे सकते हैं या फिर आपकी सर्जरी भी कर सकते हैं। अगर आपको दवाइयां नहीं लेनी हैं, तो आप सर्जरी करवा सकती हैं। सर्जरी में फेलोपियन ट्यूब के जरिए एक्टोपिक प्रेगनेंसी को निकाल देते हैं(5)
  1. थ्रीटेंड एबॉर्शन :अगर प्रेगनेंसी के 20 हफ्ते से पहले ही ब्लीडिंग होने लगती है, तो इसे थ्रीटेंड एबॉर्शन कहा जाता है। जब तक आपका दर्द और ब्लीडिंग कम नहीं हो जाती, तब तक डॉक्टर आपको आराम करने की सलाह दे सकते हैं। साथ ही कम से कम तीन हफ्तों तक शारीरिक संबंध बनाने से मना करेंगे(6)
  1. अधूरा गर्भपात :अगर आपका गर्भपात अधूरा हुआ है, तो डॉक्टर योनि से भ्रूण के हिस्से को निकालेंगे। इस प्रक्रिया को D and C यानी डाइलेशन और क्यूरेटेज प्रक्रिया कहा जाता है। यह प्रक्रिया महिला के गर्भाशय ग्रीवा को साफ करने के लिए की जाती है। भविष्य में इन्फेक्शन से बचने के लिए इस प्रक्रिया को किया जाता है(7)
  1. मिस्ड एबॉर्शन :अगर आपको एबॉर्शन की वजह से ब्लीडिंग हो रही है, तो डॉक्टर आपको अस्पताल में दाखिल होने के लिए कहेंगे या फिर घर में ही ट्रीटमेंट लेने के लिए कहेंगे। इस ट्रीटमेंट के दौरान, भ्रूण का आकार और उम्र काफी महत्व रखती है(8)
  1. पूरा एबॉर्शन :इसट्रीटमेंटकेदौरानभ्रूणऔरउससेजुड़ेटिशूकोनिकाल दिया जाता है। आपको घर जाने की अनुमति तब दी जाएगी, जब आपके अल्ट्रासाउंड में कोई भी टिशू न दिखे(9)

दूसरे और तीसरे तिमाही में रक्तस्राव के लिए उपचार

  1. लेट प्रेगनेंसी :अगर आपको लेट प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग होती है, तो आपको खून की कमी का पूरा ध्यान रखा जाएगा। आपको खून चढ़ाया जाएगा।
  1. प्लेसेंटा प्रिविया:अगर आपकोप्लेसेंटा प्रिविया की समस्याहै,तोआपकीसीजेरियनडिलीवरीहोसकतीहै।वहीं,अगरआपकी प्रेगनेंसी 36 हफ्तों से कम है और ब्लीडिंग ज्यादा नहीं है, तो डॉक्टर आपके ब्लड काउंट और भ्रूण की धड़कनों पर ध्यान रखेंगे। भ्रूण के फेफड़ों को ठीक तरीके से विकसित होने के लिए दवा दी जाएगी। जब 36 हफ्ते हो जाएंगे, तब डॉक्टर फिर से भ्रूण के फेफड़ों की जांच करेंगे और उसी हिसाब से आपकी डिलीवरी होगी(10)
  1. प्लेसेंटल अब्रप्शन :इस दौरान सीजेरियन डिलीवरी की जगह नॉर्मल डिलीवरी की जाती है। वहीं, अगर स्थिति ज्यादा गंभीर है, तभी सीजेरियन डिलीवरी की जाती है(11)

हमारे लिए उन घरेलू उपचारों के बारे में भी जानना जरूरी है, जो इस समस्या से कुछ राहत दे सकते हैं।

गर्भावस्था में ब्लीडिंग रोकने के घरेलू उपाय | pregnancy me bleeding rokne ke gharelu upay

गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव होने पर इन घरेलू उपायों को अपनाया जा सकता है :

  • आराम करें :आपको अधिक वजन नहीं उठाना चाहिए और ज्यादा मेहनत वाला काम नहीं करना चाहिए।
  • ज्यादा पानी पिएं :जितना हो सके उतना पानी पीएं। ज्यादा देर तक प्यासी न रहें। पानी पीने से आपका शरीर हाइड्रेट रहेगा।
  • टैम्पॉन का उपयोग करें :टैम्पॉन का उपयोग करने से आप अपनी ब्लीडिंग का ध्यान रख पाएंगी और प्रेगनेंसी के दौरान सफाई से भी रह पाएंगी।
  • अमरूद की पत्तियां :अमरूद की कुछ पत्तियों का सेवन कर सकती हैं।
  • फोलिक एसिड:फोलिक एसिड मां और शिशु दोनों के लिए जरूरी है। इसके सेवन से हार्मोंस संतुलित रहते हैं। साथ ही प्लेसेंटा की प्रक्रिया भी बेहतर होती है और भ्रूण सुरक्षित रहता है। फोलिक एसिड से गर्भपात की आशंका भी कुछ हद तक कम हो सकती है। साथ ही ब्लीडिंग की समस्या से भी राहत मिल सकती है(12)
  • प्रोजेस्टेरोन:प्रोजेस्टेरोन की कमी होने से भी रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। इसलिए, गर्भावस्था के समय प्रोजेस्टेरोन के सप्लीमेंट्स जरूर लेने चाहिए। इससे गर्भपात की आशंका को भी कम किया जा सकता है(13)

इन तमाम उपायों के बाद भी कुछ अवस्थाएं ऐसी होती हैं, जिनमें डॉक्टर के पास जाना जरूरी होता है।

गर्भावस्था में ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से कब बात करें

इन निम्न परिस्थितियों में आप तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।

पहली तिमाही (1-12 हफ्ते)

अगर आपको एक दिन से ज्यादा ब्लीडिंग हो, तो यह चिंता का विषय होता है। इसके अलावा, ब्लीडिंग कुछ अलग तरह से हो और उसके साथ किसी अन्य तरह की समस्या भी हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाना चाहिए। अगर बुखार या पेट में दर्द हो, तो भी डॉक्टर के पास जा सकते हैं।

दूसरी तिमाही (13-24 हफ्ते)

अगर ब्लीडिंग एक दिन से ज्यादा रहती है या फिर ब्लीडिंग से पैड एक घंटे में ही भर जाए, तो इसका मतलब यह है कि आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। इसके अलावा, अगर आपको लगातार ब्लीडिंग हो रही है और पेट में दर्द, ऐंठन, बुखार और ठंड लगे, तो भी डॉक्टर को दिखाना चाहिए(14)

तीसरी तिमाही (25-40 हफ्ते)

अगर आपको लगातार ब्लीडिंग हो रही है और पेट में दर्द हो, तो डॉक्टर को दिखाएं। इस दौरान हल्के गुलाबी रंग का डिस्चार्ज होना लेबर पैन का संकेत हो सकता है(14)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अगर गर्भावस्था में रक्तस्राव होता है, तो क्या मेरा शिशु सुरक्षित होगा?

हालांकि, ब्लीडिंग की वजह से गर्भपात की आशंका नहीं होती, लेकिन ब्लीडिंग के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसमें एक्टोपिक प्रेगनेंसी, गर्भपात, प्लेसेंटल अब्रप्शन आदि शामिल है। इसलिए, जब भी ब्लीडिंग हो, डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाएं।

प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग कितने दिन होगी?

कुछ महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही यानी शुरू के 12 हफ्तों में ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है। वहीं, दूसरी व तीसरी तिमाही में भी ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप जरूर करवाएं(15)

प्रेगनेंसी के दौरान आपको अपना खास ख्याल रखना चाहिए। अगर दूसरी या तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग हो या फिर पहली तिमाही में भी ज्यादा ब्लीडिंग हो, तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं। अगर आप गर्भावस्था में छोटी से छोटी चीज का भी ध्यान रखती हैं, तो आगे चलकर होने वाली बड़ी समस्या से बच सकती हैं।

References:

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