शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए सोयाबीन को अच्छा माना जाता है। सोयाबीन न सिर्फ पोषण देता है, बल्कि कई शारीरिक समस्याओं से बचाव करने में भी मददगार साबित हो सकता है। क्या सोयाबीन गर्भावस्था के लिए भी इतना ही फायदेमंद है, जानने के लिएमॉमजंक्शनके इस लेख को पढ़ें। यहां प्रेगनेंसी में सोयाबीन खाना सुरक्षित है या नहीं, इसकी जानकारी रिसर्च के आधार पर दी गई है। हम आगे गर्भावस्था में सोयाबीन खाने के फायदे, पोषक तत्व और उपयोग के बारे में भी बताएंगे। इसके अलावा, यहां आप प्रेगनेंसी में सोयाबीन खाने के नुकसान होते हैं या नहीं, यह भी जानेंगे।
लेख की शुरुआत करते हैं सबसे जरूरी विषय ‘गर्भावस्था में सोयाबीन का सेवन सेफ है या नहीं’ के साथ।
क्या प्रेगनेंसी में सोयाबीन खाना सुरक्षित है?
हां, गर्भावस्था में सोयाबीन का सेवन सुरक्षित हो सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सोयाबीन में आइसोफ्लेवोंस नामक फाइटोएस्ट्रोजेन होता है। यह गर्भावस्था के दौरान ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाव, एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम की कमी को दूर करने औरउच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने का कामकर सकता है। साथ ही इसे गर्भस्थ शिशु को हृदय रोग के जोखिम से भी बचाने के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रेगनेंसी के समय सोयाबीन खाना सुरक्षित और लाभकारी हो सकता है(1)।
आइए, आगे जानते हैं कि सोयाबीन में कौन-कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में होते हैं।
सोयाबीन की न्यूट्रिशनल वैल्यू
सोयाबीन में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। इन तत्वों के कारण ही सोयाबीन को प्रेगनेंसी के लिए भी अच्छा माना जाता है। हम नीचे कुछ बिंदुओं के माध्यम से प्रति 100 ग्राम सोयाबीन में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी दे रहे हैं(2):
- सोयाबीन में 446 kcal ऊर्जा और 36.49 ग्राम प्रोटीन होता है।
- फाइबर और शुगर की मात्रा इसमें क्रमश: 9.3 ग्राम और 33 ग्राम होती है।
- यह 19.94 फैट और 30.16 ग्राम कार्बोहाइड्रेट युक्त होता है।
- सोयाबीन में 277 मिग्रा कैल्शियम, 15.7 मिग्रा आयरन और 280 मिग्रा मैग्नीशियम की मात्रा होती है।
- इसमें 704 मिग्रा फास्फोरस, 1797 मिग्रा पोटेशियम और 2 मिग्रा सोडियम होता है।
- सोयाबीन 4.89 मिग्रा जिंक, 1.658 मिग्रा कॉपर, 2.517 मिग्रा मैंगनीज और 17.8 मिग्रा सेलेनियम होता है।
- यह 6 मिग्रा विटामिन सी, 0.874 मिग्रा थायमिन, 0.87 मिग्रा राइबोफ्लेविन और 1.623 मिग्रा नियासिन युक्त होता है।
- इसमें विटामिन बी-6 की 0.377 मिग्रा, फोलेट की 375 मिग्रा, विटामिन ए की 1 माइक्रोग्राम, विटामिन ई की 0.85 मिग्रा और विटामिन के की 47 माइक्रोग्राम मात्रा होती है।
- सोयाबीन में 2.884 ग्राम टोटल सैचुरेटेड फैटी एसिड, 4.404 ग्राम टोटल मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और 11.255 ग्राम टोटल पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होता है।
लेख में आगे बढ़ते हुए पढ़िए गर्भावस्था में सोयाबीन खाने के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी में सोयाबीन खाने के फायदे
गर्भावस्था के समय सोयाबीन खाने से कई लाभ हो सकते हैं। इन फायदों के बारे में हम नीचे विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
1. हृदय के लिए
गर्भावस्थामेंसोयाबीनकासेवनकरनेसेहृदयकोस्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है। इस संबंध में प्रकाशित एक रिसर्च की मानें, तो सोया प्रोटीन लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) को कम कर सकता है। एलडीएल नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल होता है, जो कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही सोया प्रोटीन हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) को बढ़ा सकता है। एचडीएल अच्छा कोलेस्ट्रॉल होता है, जिसे हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जाना जाता है(3)।
2. रक्तचाप नियंत्रण
प्रेगनेंसी में सोयाबीन के सेवन का एक फायदा रक्तचाप नियंत्रण भी है। इस संबंध में पब्लिश एक रिसर्च में दिया हुआ है कि सोया प्रोटीन रक्तचाप को कम करने का काम कर सकता है। बताया जाता है कि इससे सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (धमनियों में दबाव को दर्शाने वाला ऊपर का अंक) कम हो सकता है(3)। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में भी इस बात का जिक्र मिलता है। रिसर्च में कहा गया है कि सोया प्रोटीन में ब्लड प्रेशर घटाने वाला प्रभाव हो सकता है(4)।
3. एनीमिया से बचाव
शरीर में आयरन की कमी के कारणएनीमिया का जोखिमउत्पन्न हो सकता है। इस दौरान शरीर में पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती, जो शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन दे सकें। ऐसे में एनीमिया से बचने के लिए सोयाबीन मदद कर सकता है। दरअसल, इसमें आयरन होता है, जो इस समस्या से बचाव कर सकता है। साथ ही प्रेगनेंसी में महिला को अधिक आयरन की जरूरत होती है, जिसे पूरा करने में सोयाबीन सहायता कर सकता है(5)।
4. मधुमेह के लिए
गर्भकालीन मधुमेह के जोखिमको कम करने में भी सोयाबीन मदद कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक अध्ययन के अनुसार, सोया प्रोटीन में मौजूद आइसोफ्लेवोंस ब्लड ग्लूकोज नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह इंसुलिन प्रतिरोध को कम करके भी मधुमेह के जोखिम से बचने में सहायता कर सकता है(6)।
5. हड्डियों की मजबूती
सोयाबीन का सेवन हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे जुड़े एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, सोयाबीन में आइसोफ्लेवोंस नामक फाइटोएस्ट्रोजेन होता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डी रोग से बचने में भी मदद मिल सकती है(8)। लिहाजा, सोयाबीन को हड्डियों के लिए लाभकारी कहा जा सकता है।
6.ब्लड क्लॉट और धमनी में ब्लॉकेज से राहत
रक्त के थक्के जमने के कारण धमनी में ब्लॉकेज हो सकती है। इस परेशानी को दूर करने में भी सोयाबीन का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, सोयाबीन के आइसोफ्लेवोंस में जीनिस्टिन कंपाउंड होता है, जो रक्त के थक्के को जमने से रोक सकता है। इससे ब्लड क्लॉट को रोकने के साथ ही धमनी में होने वाली ब्लॉकेज से बचा जा सकता है(3)।
अब हम गर्भावस्था में सोयाबीन खाने के नुकसान किस प्रकार से हो सकता है, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
प्रेगनेंसी में सोयाबीन खाने के नुकसान
सोयाबीन सेहत के लिए फायदेमंद ही नहीं, बल्कि कई बार नुकसानदायक भी हो सकता है। इन नुकसान में ये शामिल हैं :
- अधिक सोयाबीन का सेवन करने से ब्लड शुगर कम होता है, जिससे ऊर्जा में कमी महसूस हो सकती है(6)।
- कुछ महिलाओं को सोयाबीन से एलर्जी हो सकती है(7)।
- सोयाबीन अधिक खाने सेनिम्न रक्तचाप की समस्याहो सकती है(3)।
लेख के अगले हिस्से में गर्भावस्था में सोयाबीन के तेल का उपयोग सुरक्षित है या नहीं, इसकी जानकारी देंगे।
प्रेगनेंसी में सोयाबीन का तेल लेना सुरक्षित है?
जी हां, गर्भावस्था के दौरान सोयाबीन के तेल का सीमित उपयोग सुरक्षित हो सकता है। इस संबंध में किए गए एक शोध में बताया गया है कि सोयाबीन के तेल में लिनोलिक एसिड होता है, जो गर्भावस्था के लिए जरूरी पोषक तत्व है(8)। इससे संबंधित एक दूसरे अध्ययन के मुताबिक, अधिक मात्रा में सोयाबीन के तेल का इस्तेमाल करने से भ्रूण के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है(9)। ऐसे में गर्भवतियों को आहार में सोयाबीन के तेल को अधिक मात्रा में शामिल करने से बचना चाहिए।
आइए, अब प्रेगनेंसी में सोयाबीन के सेवन से जुड़ी कुछ ध्यान रखने योग्य बातें जान लेते हैं।
प्रेगनेंसी के समय सोयाबीन का सेवन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
गर्भावस्था के समय सोयाबीन के सेवन से जुड़ी कुछ बातों का खास ध्यान रखना होता है। इससे सोयाबीन के नुकसान से बचने में मदद मिल सकती है। इन ध्यान देने वाली बातों के बारे में नीचे पढ़िए।
- प्रेगनेंसी में सोयाबीन को सीमित मात्रा में खाना चाहिए।
- सोयाबीन के सेवन से पहले डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।
- सोयाबीन को आहार में शामिल करने से पहले इसे अच्छे से धो लें।
- इससे बनाए गए खाद्य पदार्थ अच्छी तरह पके हुए होने चाहिए।
- सोयाबीन से जिन्हें एलर्जी है, वो इससे बने खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचें।
आगे पढ़िए गर्भावस्था में सोयाबीन को आहार में किस तरह से शामिल कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी में सोयाबीन खाने के तरीके
सोयाबीन को प्रेगनेंसी डाइट में शामिल करने के कई तरीके हैं, जिनके बारे में हम आगे बता रहे हैं।
- सोयाबीन से दूध बनाकर पी सकते हैं।
- इसके बीजों को उबालकर सब्जी में शामिल किया जा सकता है।
- सोयाबीन की दाल बनाकर खा सकते हैं।
- सोया दूध से बने टोफू या बड़ी की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
- प्रेगनेंसी के समय इससे बने सूप का सेवन कर सकते हैं।
- इसे अंकुरित करके सेवन किया जा सकता है।
- सोयाबीन से बने तेल को खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
आप लेख को पढ़कर समझ ही गए होंगे कि प्रेगनेंसी में सोयाबीन का सेवन कितना फायदेमंद होता है। इसके छोटे-छोटे बीज कई बड़े गुण और पोषक तत्वों से समृद्ध होते हैं। आप इसे प्रेगनेंसी डाइट में शामिल करके सोयाबीन का लाभ उठा सकते हैं। बस ध्यान दें कि अगर गर्भावस्था से संबंधित किसी तरह की जटिलताएं हैं, तो इसे आहार में शामिल करने से पहले विशेषज्ञ से राय लेना जरूरी है। साथ ही सोयाबीन से एलर्जी होने वालों को भी इसके सेवन से बचना चाहिए।
References:
2.Soybeans, mature seeds, rawBy USDA
3.Phytochemicals and nutritional health benefits of soy plantBy IJNPND
4.Soy, Soy Foods and Their Role in Vegetarian DietsBy NCBI
5.Iron deficiency anemiaBy NCBI
6.Antidiabetic effects of fermented soybean products on type 2 diabetesBy NCBI
7.Soy foods: are they useful for optimal bone healthBy NCBI
8.Soy protein allergy: incidence and relative severityBy NCBI
9.High Maternal Intake of Polyunsaturated Fatty Acids During Pregnancy in Mice Alters Offsprings’ Aggressive Behavior, Immobility in the Swim Test, Locomotor Activity and Brain Protein Kinase C ActivityBy NCBI
10.Excess and deficient omega-3 fatty acid during pregnancy and lactation cause impaired neural transmission in rat pupsBy NCBI