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बच्चों के लिए शहद: कब और कैसे खिलाएं, फायदे व नुकसान | Benefits Of Honey For Baby In Hindi

शहद को बेहतरीन और प्राकृतिक स्वीटनर माना गया है। साथ ही यह शरीर के लिए भी लाभकारी है, लेकिन छोटे बच्चों को देना चाहिए या नहीं, इसे लेकर हर किसी को दुविधा है। अगर आपके मन में भी यही सवाल है, तो इसका जवाब आपको यहां मिल जाएगा।मॉमजंक्शनके इस लेख में हम बच्चों को शहद देने की सही उम्र के साथ-साथ उनके आहार में शहद को किस तरह शामिल करें, इसकी भी जानकारी देंगे। इसके अलावा, हम इस लेख में वैज्ञानिक प्रमाण सहित बताएंगे कि शहद से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।

चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि बच्चे शहद का सेवन कब कर सकते हैं।

In This Article

बच्चे शहद का सेवन कब कर सकते हैं? | Baby Ko Honey Kab Dena Chahiye

डॉक्टरों 1 वर्ष या उससे अधिक के उम्र के बच्चों को शहद देने की सलाह देते हैं(1)डॉक्टरों का ऐसा मानना है कि 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद देने पर कुछ समस्याएं हो सकती हैं।इन समस्याओं के बारे में लेख के अगले भाग में विस्तार से बताया गया है।

इसके आगे के भाग में जानें कि इन्फेंट बॉटुलिज्म क्या होता है।

इन्फेंट बॉटुलिज्म क्या है?

1 वर्ष से कम आयु के शिशु को शहद देने पर इन्फेंट बॉटुलिज्म की समस्या हो सकती है। शिशु में बोटुलिज्म घातक समस्या होती है। इसके लिए क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया (जीवाणु) जिम्मेदार होता है। यह समस्या शिशुओं के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जठरांत्र मार्ग) में होती है। क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम मिट्टी और कुछ खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, जिनमें से एक शहद भी है। बॉटुलिज्म की समस्या जन्म के बाद 6 दिन शिशु से लेकर 1 साल तक के बच्चे को हो सकती है, लेकिन 6 सप्ताह से 6 महीने की उम्र वाले बच्चों को ज्यादा होती है। इसलिए, एक साल से कम उम्र के शिशुओं को शहद न देने की सलाह दी जाती है(2)

आगे जानिए कि शिशुओं में बॉटुलिज्म के लक्षण किस तरह के होते हैं।

इन्फेंट बॉटुलिज्म के लक्षण

शिशुओं में बॉटुलिज्म के लक्षण कुछ प्रकार हो सकते हैं(2)(3):

  • सांस लेने में तकलीफ
  • कब्ज
  • पलकों का शिथिल या बंद होना
  • शिशु का सुस्त होना
  • सिर पर नियंत्रण न होना
  • शरीर के निचले हिस्से में पैरालिसिस
  • खाने-पीने में तकलीफ
  • रेस्पिरेटरी फेलियर फेफड़ों से संबंधित समस्या)
  • अधिक थकान
  • चेहरे की मांसपेशियों का कमजोर दिखाई देना
  • हाथ, पैर और गर्दन की मांसपेशियों में कमजोरी

इस आर्टिकल के अगले हिस्से में बच्चों को शहद से होने वाले फायदे जानेंगे।

बच्चों को शहद के 8 फायदे | Benefits Of Honey For Baby In Hindi

सहीसलाहऔरउचितसमयकेबादबच्चोंकोशहददियाजाए, तो इससे उन्हें कई फायदे हो सकते हैं। ऐसे में बच्चों को शहद देना कब से शुरू करें, इसके बारे में ऊपर लेख में पहले ही बताया गया है। अब विस्तार से इसके फायदे बता रहे हैं(4):

  1. घाव भरने के लिए– एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, शहद को कई जगह पर पारंपरिक रूप से घाव के इलाज, त्वचा में जलन, स्किन डिसऑर्डर और फोड़े से राहत पाने के लिए उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शहद में घाव को भरने की क्षमता और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाया जाता है। इन गुणों के कारण घाव ठीक हो सकता है।
  1. पीडियाट्रिक केयरशहद का इस्तेमाल पीडियाट्रिक केयर के लिए भी किया जा सकता है।शहद का पीडियाट्रिक डर्मेटाइटिस पर लाभकारी असर होता है।इससे जुड़ी एक्जिमा और सोरायसिस से उत्पन्न समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है।
  1. मौखिक स्वास्थ्य के लिए-शहद के सेवन से कई मौखिक समस्याओं से निपटा जा सकता है, जिनमें पीरियडोंटल डिजीज (मसूड़ों से संबंधित बीमारी), स्टामाटाइटिस (मुंह के अंदर सूजन) और हलिटोसिस (मुंह की दुर्गंध) शामिल हैं। इसके अलावा, यह दांतों के प्लाक, मसूड़े की सूजन और मुंह के छाले आदि को दूर रखने का काम कर सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण संक्रमण के कारण मुंह में क्षतिग्रस्त हो चुकी कोशिकाओं को ठीक करने का काम कर सकते हैं।
  1. मेटाबॉलिक और हृदय स्वास्थ्य के लिए-बच्चों के मेटाबॉलिक और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी शहद का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, शहद में कार्डियोप्रोटेक्टिव और थेरापेटिक प्रभाव होता है, जो हृदय संबंधी समस्या से बचाने में मदद कर सकता है।
  1. स्वस्थ लिवर के लिए-शहद में दर्द को कम करने, लिवर प्रणालियों (सिस्टम्स) को संतुलित रखने और टॉक्सिन पदार्थों को बेअसर करने का प्रभाव होता है। लिवर संबंधी समस्या के लिए मुख्य रूप से ऑक्सीडेटिव डैमेज जिम्मेदार होते हैं और शहद में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है, जो लिवर डैमेज को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है। इसके अलावा, शहद में हेपेटोप्रोटेक्टिव गतिविधि भी पाए जाते हैं, जो लिवर को नुकसान से बचाए रखता है।
  1. एसिडिटी से छुटकाराअगर किसी बच्चे को गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) की समस्या है, तो शहद के इस्तेमाल से इस समस्या से राहत मिल सकती है। जीईआरडी ऐसी स्थिति है, जिसके कारण सीने में जलन होती है(5)। शहद के सेवन से पेट की सूजन या घाव को ठीक किया जा सकता है। शहद के सेवन से भोजन और गैस्ट्रिक रस का ऊपर की तरफ प्रवाह नहीं होता है, जिससे एडिडिटी से कुछ राहत मिल सकती है। इस प्रकार एसिड रिफ्लक्स की समस्या कुछ कम हो सकती है।
  1. एंटीऑक्सीडेंट की तरह- शहद में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं।एंटीऑक्सीडेंट स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यह गुण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करने का काम कर सकता है, जिससे सूजन संबंधी समस्या, कोरोनरी आर्टरी डिजीज (धमनी रोग), न्यूरोलॉजिकल की समस्या, एजिंग और कैंसर को दूर रखा जा सकता है(6)
  1. ऊर्जा देने के लिए-शहद में भरपूर मात्रा में ऊर्जा होती है। इससे बच्चा ऊर्जावान बना रहता है और खेलकूद में चुस्त व तंदुरुस्त महसूस कर सकता है(7)

लेख के अगले भाग में हम बच्चों को शहद देते समय ध्यान में रखने वाली बातों की जानकारी दे रहे हैं।

बच्चों को शहद देते समय इन बातों का रखें ध्यान

बच्चों को शहद देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि उन्हें शहद से होने वाले जोखिम से बचाया जा सके।

  • बच्चों को दिया जाने वाला शहद शुद्ध होना चाहिए।
  • शुरुआत में हमेशा कम मात्रा में शहद देना चाहिए।
  • बाजार से शहद लेते समय उसके लेबल पर लिखी एक्सपायरी डेट को जरूर चेक करना चाहिए।
  • शहद को खुले में न रखें। अगर शहद डिब्बे में है, तो उसका ढक्कन अच्छी तरह से बंद करके रखें।
  • शहद को खरीदने के बाद दो महीने के अंदर ही खत्म कर लें।पैकेट खुलने के बाद अधिक समय तक उपयोग न करें।

आइए, अब यह भी जान लेते हैं कि बच्चों को शहद कैसे देना चाहिए।

बच्चों को शहद कैसे दें?

बच्चों को हमेशा कम मात्रा में शहद देना शुरू करना चाहिए। इससे यह पता चल जाता है कि बच्चे को शिशु हजम हो रहा है या नहीं और उसे किसी तरह की एलर्जी तो नहीं हो रही। साथ ही बच्चे को शहद देने के कई तरीके हैं, जो इस प्रकार हैं :

  • ओटमील में शहद मिक्स करके बच्चों को दिया जा सकता है।
  • बच्चों को दिए जाने वाले दूध में शक्कर की जगह शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • शहद को ब्रेड पर लगाकर बच्चों को दिया जा सकता है।
  • दही और शहद को मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
  • स्मूदी में शहद का उपयोग करके बच्चों को दिया जा सकता है।
  • शहद को पैनकेक में इस्तेमाल करके खाया जा सकता है।

आगे हम बता रहे हैं कि सर्दी-खांसी होने पर बच्चों को शहद कैसे किया जा सकता है।

सर्दी-खांसी में बच्चों के लिए शहद

अगर किसी बच्चे को सर्दी और खांसी की समस्या है, तो उन्हें शहद देने पर यह समस्या दूर हो सकती है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक शोध में बताया गया है कि सर्दी और खांसी के इलाज में शहद का सेवन किया जा सकता है। साथ ही इस शोध में यह भी बताया गया है कि अभी यह कहना मुश्किल है कि सभी प्रकार के शहद सर्दी-खांसी में फायदेमंद हो सकते हैं(8)वहीं, एक दूसरे शोध में बताया गया है कि शहद में पाए जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण बच्चों और वयस्क दोनों की खांसी को कम करने का काम कर सकता है(4)

चलिए, अब जानते हैं कि क्या शहद से बच्चों को एलर्जी हो सकती है या नहीं।

बच्चों को शहद से एलर्जी

शहद के सेवन से कुछ बच्चों को एलर्जी हो सकती है, तो कुछ को नहीं। दरअसल, कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो खान-पान के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे में उन्हें शहद देने से एलर्जी होने का जोखिम बना रहता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शहद को एलर्जीनिक खाद्य पदार्थ के रूप में जाना जाता है, जो कफ (खांसी) से लेकर एनाफिलेक्सिस जैसी गंभीर एलर्जी की समस्या पैदा कर सकता है(9)। इसलिए, छोटे बच्चे को पहली बार शहद देने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

बच्चों के लिए कौन-सा शहद सही है प्राकृतिक या प्रोसेस्ड?

शोध के अनुसार प्रोसेस्ड शहद के निर्माण के समय कई पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जो प्राकृतिक शहद में मौजूद रहते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि बच्चों के लिए प्राकृतिक शहद का सेवन ज्यादा बेहतर हो सकता है(10)

क्या नवजात शिशु के लिए शहद वाली चुसनी (निपल) का उपयोग करना सुरक्षित है?

छोटे बच्चों के लिए पेसिफायर (चुसनी)का उपयोग करना सुरक्षित नहीं है। इसलिए, विशेषज्ञ नवजात और छोटे शिशु के लिए इसके उपयोग नहीं करने की सलाह देते हैं (11)।

तो अब बच्चों के लिए शहद को लेकर आपकी सभी शंकाएं दूर हो गई होंगी। फिर भी हम यह कहेंगे कि बच्चों को शहद देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साथ ही शहद के सेवन से बच्चों को किसी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस आर्टिकल में दिए गए जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। बच्चों के आहार से संबंधित ऐसे ही अन्य आर्टिकल मॉमजंक्शन की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

संदर्भ (Reference link):

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