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गर्भनिरोधकगोलियां: कब और कैसे लेनी चाहिए, लाभ व नुकसान | Garbh Nirodhak Goli Kab Khaye

बच्चों में अंतर रखना महिला स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है। साथ ही कुछ महिलाएं निजी कारणों से गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं, इसलिए अनचाहे गर्भ से बचने के कई तरीके हैं। इनमें से एक तरीका हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना भी है। गर्भनिरोधक गोलियां अनचाहे गर्भ से सुरक्षा देती हैं, ये तो सभी जानते हैं, लेकिन इनसे जुड़े और भी कई पहलू हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है। जैसे गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन अनचाहे गर्भ के अलावा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी राहत दे सकता है, जिसके बारे में इस लेख में विस्तार से बताया गया है।मॉमजंक्शनके इस आर्टिकल में जानिए कि गर्भनिरोधक गोलियां क्या हैं और इनका सेवन कैसे किया जाना चाहिए। साथ ही इस आर्टिकल में गर्भनिरोधक गोलियों के जोखिम को भी शामिल किया गया है।

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती हैं।

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गर्भनिरोधकगोली क्या है? | Garbh Nirodhak Goli Kya Hai

ये गोलियां प्रयोगशाला में तैयार किए गए दो हार्मोन से बनती हैं, जिनका नाम है प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजेन। इन गोलियों में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की जगह प्रोजेस्टिन नामक सिंथेटिक हार्मोन इस्तेमाल किया जाता है(1)गर्भधारण करने या न करने में प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन की बड़ी भूमिका होती है।आइए, जानते हैं कि ये दोनों हार्मोन जब गर्भनिरोधक के रूप में लिए जाते है तो महिलाओं के शरीर को किस तरह प्रभावित करते हैं।

  • प्रोजेस्टिन :यह ओव्यूलेशन यानी अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है। साथ ही गर्भाशय ग्रीवा पर पाए जाने वाले द्रव और गर्भाशय अस्तर (uterus lining) को प्रभावित करके भी प्रोजेस्टीन गर्भधारण को रोक सकता है(2)
  • एस्ट्रोजेन :एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टिन ये दोनों हार्मोन मिलकर ओव्यूलेशन को रोक सकते हैं। साथ ही ये गर्भाशय ग्रीवा पर मौजूद द्रव को गाढ़ा कर सकते हैं, जिससे शुक्राणु अंडे तक नहीं पहुंच पाते। ये दोनों हार्मोन मिलकर गर्भाशय अस्तर (uterus lining) पर भी प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे अंडा गर्भाशय से नहीं जुड़ पाता है(3)

गर्भनिरोधकगोलियों में ये दोनों हार्मोन एक साथ या अलग-अलग हो सकते हैं। उपरोक्त प्रभाव के चलते गर्भनिरोधक गोलियां का नियमित सेवन करने से महिलाओं के शरीर में गर्भधारण करने की स्थिति नहीं बन पाती है। इस तरीके को ओरल कॉन्ट्रोसेप्टिव कहा जाता है।

गर्भनिरोधकगोलियों के प्रकार

बाजार में मिलने वाली गर्भनिरोधक गोलियां चार प्रकार की हो सकती हैं।गर्भनिरोधकगोलियों के चार प्रकार इस बात पर निर्भर करते हैं किस गोली में कौन सा हार्मोन है और कितनी मात्रा में है।

1. प्रोजेस्टिन ओनली पिल्स या मिनी पिल्स (Progestin only pills या mini-pills) :इस गर्भनिरोधक गोली में सिर्फ प्रोजेस्टिन नाम का सिंथेटिक हार्मोन होता है। यह हार्मोन सिर्फ महिलाओं के शरीर में पाया जाता है। यह हार्मोन अंडाशय से अंडे को निकलने से रोकता है। इसके अलावा, यह गर्भाशय की झिल्ली में बदलाव लाता है।मेडिकल भाषा में गर्भाशय झिल्ली को एंडोमेट्रियम (Endometrium) कहते हैं और अंडे के इसी से जुड़ने पर भ्रूण का निर्माण होता है।प्रोजेस्टिन युक्त हार्मोनल गोलियां अंडे को इससे जुड़ने से रोक सकती हैं(2)(4)

2. कॉम्बिनेशन पिल्स (Combination Pills) :कॉम्बिनेशन गोलियों में प्रोजेस्टिन के साथ-साथ एस्ट्रोजन भी होता है। कॉम्बिनेशन गोलियां पांच प्रकार की होती हैं। गोलियों के पांच प्रकार इस बात पर निर्भर करते हैं कि दोनों हार्मोन का इस्तेमाल कितनी-कितनी मात्रा में हुआ है(5)।ये पांच प्रकार इस तरह से हैं :

    • मोनो-फेजिक गोली :इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन की निश्चित मात्रा होती है, जो पूरे मासिक चक्र यानी 28 दिन तक समान ही रहती है।
    • बाई-फेजिक गोली :28 दिन तक ली जाने वाली इन गोलियों में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टिन पाए जाते हैं। एस्ट्रोजन का स्तर पूरे 28 दिन तक एक जैसा रहता है, जबकि 14 दिन के बाद प्रोजेस्टिन का स्तर बढ़ने लगता है।
    • ट्राई फेजिक गोलियां :इन गर्भनिरोधक गोलियों में दोनों हार्मोन की मात्रा हर 7 दिन बाद बदलती है। इसका मतलब यह है कि इस कोर्स में तीन तरह की गोलियां शामिल होती हैं।
    • फोर फेजिक गोलियां :इस तरह की गर्भनिरोधक गोलियों में 28 दिन में चार तरह की गोलियों का सेवन किया जाता है।
    • लगातार खाई जाने वाली गोली :इस तरह की गर्भनिरोधक गोलियां में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टिन दोनों को उस स्तर पर बनाकर रखा जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाए।

3. इमरजेंसी कॉन्ट्रोसेप्टिव पिल्स (Emergency Contraceptive Pills) :आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली में भी सिर्फ प्रोजेस्टिन या फिर प्रोजेस्टिन और एस्ट्रोजेन दोनों हो सकते हैं। कंडोम के बिना यौन संबंध बनाने के बाद इसे तीन दिन के भीतर खाना होता है, लेकिन यह सिर्फ एक बार गर्भवती होने से बचा सकती है। यही कारण है कि आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल नियमित रूप से नहीं किया जाता है।गर्भवती न होने के उपायके रूप में इन गोलियों का इस्तेमाल निम्न अवस्थाओं में किया जा सकता है(6)

  • जबकिसीभीतरहकेकोईगर्भनिरोधकउपायकोइस्तेमालन किया हो।
  • जब इस्तेमाल किया गया गर्भनिरोधक तरीका असफल साबित हो जाए, जैसे – नियमित रूप से खाई जाने वाली गर्भनिरोधक गोलियां खाना भूल गए हो। यौन संबंध के समय इस्तेमाल किया गया कंडोम फट गया हो और योनि में वीर्य प्रवेश कर गया हो। इसके अलावा, अगर गर्भनिरोधक इंजेक्शन लेने में देरी हो गई हो।

4. सेंटक्रोमन (ओरमेलोक्सिफेन) गोलियां (Centchroman (Ormeloxifene) Pills) :हफ्ते में एक बार खाई जाने वाली यह गोली एस्ट्रोजेन प्रतिरोधी प्रभाव दिखाती है।इसका सेवन भी ओवल्युशन यानी अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया को रोकता है(7)।प्रत्येक सप्ताह 30 मिलीग्राम की खुराक (एक गोली) खानी होती है। इन्हें एंटी स्टेरॉयड गर्भनिरोधक के नाम से भी जाना जाता है(8)

अभी आपने जाना कि बाजार में कितनी तरह की गर्भनिरोधक गोलियां उपलब्ध हैं। आइए, अब आगे जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियां खाना सुरक्षित हैं या नहीं।

क्या गर्भनिरोधक गोली लेना सुरक्षित है?

डॉक्टर की सलाह पर गर्भनिरोधक गोली लेना सुरक्षित हो सकता है। अगर गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन सही तरीके से किया जाए, तो अनचाहे गर्भ से सुरक्षा के साथ इसके अन्य फायदे हो सकते हैं, जिनके बारे में लेख में आगे विस्तार से बताया गया है। वहीं, डॉक्टर की सलाह लिए बगैर गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना हानिकारक हो सकता हैं।एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों का अनियंत्रित सेवन कई तरह के जोखिम का कारण बन सकता है।इनमें ह्रदय रोग का खतरा भी शामिल है। इसलिए, इन गोलियों का सेवन करना चाहिए या नहीं, इसके बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना सही रहेगा(9)

अभी आपने जाना कि गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन सुरक्षित है या नहीं। आइए, अब जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कब करना चाहिए।

गर्भनिरोधकगोली कब लेनी चाहिए? | Garbh Nirodhak Goli Kab Khaye

यहइसबातपरनिर्भरकरताहैकिकौनसीगोलीकासेवनकिया जा रहा है। कुछ गर्भनिरोधक गोलियां ऐसी होती हैं, जिन्हें डॉक्टर रोज लेने की सलाह दे सकते हैं। इस तरह की गर्भनिरोधक गोलियां का सेवन रोज और निश्चित समय पर करना होता है(10)।किसी एक दिन कि खुराक छूटने से भी गर्भ ठहरने की संभावना बन सकती है। डॉक्टरों के अनुसार, मासिक धर्म शुरू होने के पांच दिन के भीतर इसका सेवन शुरू करें। वहीं, अगर मासिक धर्म शुरू हुए पांच दिन हो चुके हैं, तो इसके सेवन के साथ सात दिन तक बैकअप के तौर पर कंडोम का इस्तेमाल करना सही रहता है(11)(12)।गर्भनिरोधकगोली की शुरुआत कब करनी चाहिए यह जानने के लिए डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। डॉक्टर जांच के बाद इसको खाने का सही तरीका बता सकते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के इनका सेवन न करें। इसके फायदे और नुकसान लेख में आगे विस्तार से बताए गए हैं।

इस लेख में आगे जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कैसे करना चाहिए।

गर्भनिरोधकगोली कैसे लेनी चाहिए?

यह गर्भनिरोधक गोलियों के प्रकार पर निर्भर करता है। यहां हम उपलब्ध वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर बता रहे हैं कि इन्हें कैसे लेना चाहिए, लेकिन इनका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

  1. प्रोजेस्टिन और कॉम्बिनेशन गोलियों का सेवन :बाजार में इन गर्भनिरोधक गोलियों के कई ब्रांड मौजूद हैं। ज्यादातर गर्भनिरोधक गोलियों के पैक में 28 गोलियां होती हैं, जिनका सेवन 28 दिन तक रोज करना होता है। हर गोली के बीच 24 घंटों से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए, वरना गोली का प्रभाव कम हो सकता है।अगर महिला एक दिन गोली खाना भूल जाए, तो अगले दिन दो गोलियों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।अगर दो दिन तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन छूट जाए, तो याद आने पर दो दिन तक लगातार दो गोलियों का सेवन किया जा सकता है। दो दिन के बाद फिर से रोज एक गोली का सेवन शुरू किया जा सकता है। इसका सेवन ताजे पानी के साथ किया जा सकता है(13)।गोली लेना भूल जाने पर एक बार डॉक्टर से बात करना सही होगा।
  1. आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का सेवन :कंडोम के बिना यौन संबंध बनाने के बाद 3 दिन के अंदर इसका सेवन जरूरी होता है। अगर इसे तीन दिन (72 घंटे) के बाद लिया जाता है, तो इसका प्रभाव कम या बिल्कुल समाप्त हो सकता है। तीन दिन के अंदर भी जितनी जल्दी इसका सेवन किया जाता है, गर्भवती होने का डर उतना ही कम हो जाता है(14)
  1. सेंट्रोक्रोमन (ओरमेलोक्सिफेन) गोलियां :इन गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन पहले तीन महीने तक हफ्ते में दो बार किया जाता है। इसके बाद यह गर्भनिरोधक गोली हफ्ते में एक बार खाई जा सकती है (8)(11)

अभी आपने जाना कि गर्भनिरोधक गोलियां कैसे लेनी चाहिए। अब आगे जानते हैं कि ये गर्भनिरोधक गोलियां कैसे काम करती हैं।

गर्भनिरोधकगोली कैसे काम करती है? | Garbh Nirodhak Goli Kya Kaam Aati Hai

गर्भधारणकेलिएअंडेकाअंडाशयसेबाहरआनाजरूरीहोता है। इसके बाद ये शुक्राणुओं के साथ मिलकर भ्रूण का निर्माण कर सकते हैं। अंडे के बाहर आने की क्रिया डिम्बोत्सर्जन (Ovulation) कहलाती है और इसमें प्रोजेस्ट्रोन व एस्ट्रोजेन हार्मोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गर्भनिरोधक गोलियां इन दोनों हार्मोन के स्तर में बदलाव करती हैं। हार्मोन में बदलाव आने से अंडाशय से अंडा बाहर नहीं निकल पाता है, जिससे गर्भधारण करने की संभावना नहीं रहती(1)

इसके अलावा, ये गर्भनिरोधक गोलियां गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के चारों ओर पाए जाने वाले म्यूकस (एक प्रकार का तरल पदार्थ) को गाढ़ा करने का काम करती हैं। इससे शुक्राणु का गर्भाशय में प्रवेश करना और अंडे तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है(1)

गर्भनिरोधकगोलियों में पाए जाने वाले हार्मोन कभी-कभी यूटरस यानी गर्भाशय की लाइनिंग (uterus lining) को भी प्रभावित कर सकते हैं। इस कारण अंडा गर्भाशय की दीवार से नहीं जुड़ पाता है(1)

लेख के अगले भाग में आप जानेंगे कि गर्भनिरोधक गोली लेने के क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।

गर्भनिरोधकगोली लेने के फायदे

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन अनचाहे गर्भ से सुरक्षा तो दे ही सकता है, साथ ही इन गोलियों के कुछ अन्य लाभ भी हैं। नियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियां का सेवन करने से निम्न प्रकार के लाभ हो सकते हैं :

  1. मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में :मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को चिकित्सा विज्ञान में डिसमेनोरिया के नाम से जाना जाता है। इस दौरान अधिक रक्तस्राव की समस्या को मेनोरेजिया कहते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) में छपे एक शोध के अनुसार गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल इन दोनों समस्याओं से राहत दिला सकता है(15)

वहीं, एक अन्य शोध में यह कहा गया है कि इन दवाओं के सेवन से माहवारी के दर्द से खास आराम नहीं आता है। इसलिए, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन विशेष रूप से मासिक धर्म के दर्द से निजात पाने में कारगर साबित नहीं होता है(16)

  1. शरीर को आयरन की कमी से बचाने में :मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को आयरन के सेवन की जरूरत सामान्य दिनों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा होती है। आयरन की कमी से महिलाओं को एनीमिया हो सकता है यानी शरीर में खून की कमी हो सकती है। वहीं, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन मासिक धर्म में होने वाले रक्तस्राव की मात्रा में कमी ला सकता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि आयरन और रक्त की कमी से जूझ रही महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना बेहतर विकल्प हो सकता है(15)(17)
  1. ओवेरियन सिस्ट के उपचार में :स्त्री रोग विशेषज्ञ अक्सर अंडाशय में पाई जाने वाली गांठों के उपचार के लिए हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं(18)।एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध में भी पाया गया है कि मोनोफेसिक गर्भनिरोधक गोलियां ओवेरियन सिस्ट से बचाव में सुरक्षात्मक प्रभाव दिखा सकती हैं(19)।इन गोलियों का सेवनपॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOD) के लक्षणजैसे मुंहासे और अनचाहे बालों को भी कम कर सकता है(15)।ओवेरियन सिस्ट एक जटिल स्वास्थ्य समस्या है, जिसका उपचार डॉक्टर की देखरेख में ही होना चाहिए।
  1. पेल्विक हिस्से में सूजन से राहत :पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिसीज (Pelvic inflammatory disease) महिलाओं के प्रजनन अंगों में सूजन का कारण बन सकती हैं। इसके कारण गर्भाशय,फैलोपियन ट्यूब, सर्विक्स और अंडाशय में संक्रमण पैदा हो सकता है(20)।एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध एक अध्ययन में भी जिक्र मिलता है कि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिसीज से बचाव करने में गर्भनिरोधक गोलियां प्रभावी हैं(21)
  1. रुमेटाइड अर्थराइटिस से बचाव :गर्भनिरोधकगोलियों का सेवन रुमेटाइड अर्थराइटिस (एक प्रकार का जोड़ों का दर्द) के जोखिम को कम कर सकता है। एनसीबीआई में छपे एक अध्ययन के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं में रुमेटाइड अर्थराइटिस होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले लगभग 30 से 50 प्रतिशत तक कम हो सकती है(22)

वहीं, एक अन्य शोध की माने तो गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन रुमेटाइड अर्थराइटिस से बचाव तो नहीं कर सकता, लेकिन इस बीमारी की गंभीरता को कम जरूर कर सकता है(23)

  1. स्तन में गांठ के लिए :गर्भनिरोधकगोलियों का सेवन स्तन में पैदा होने वाली गांठ (ट्यूमर) के लिए फायदेमंद हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक स्टडी के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन फाइब्रोसिस्टिक नामक स्तन विकार के मामलों में 30 प्रतिशत तक कमी ला सकता है। वहीं, फाइब्रोएडीनोमा (नॉन कैंसर गांठ) की घटनाओं में 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती हैं(22)
  1. एंडोमेट्रियल कैंसर (गर्भाशय का कैंसर) से बचाव में :गर्भनिरोधकगोलियों का नियमित सेवन गर्भाशय और अंडाशय के कैंसर से बचाव में सहायक हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक सेवन करने से एंडोमेट्रियल और ओवेरियन कैंसर (अंडाशय कैंसर) से बचा जा सकता है(24)।एक अन्य अध्ययन यह कहता है कि गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन महिलाओं को लंबे समय तक कैंसर के जोखिम से बचा सकता है। अगर कुछ तरह के कैंसर को छोड़ दें, तो गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन बंद करने पर भी इनका कैंसर रोधी प्रभाव बना रह सकता है(25)।ध्यान रहे कि कोई भी अध्ययन इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि गर्भनिरोधक गोलियां कैंसर से पूरी तरह बचाती हैं या उपचार कर सकती हैं। यह एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिसके विषय में डॉक्टर ही सही जानकारी दे सकते हैं।

इन सब फायदों के अलावा गर्भनिरोधक गोलियों के कुछ अन्य फायदे भी हैं जैसे(10):

  • गर्भनिरोधकगोलियों का उपयोग करना आसान है।
  • इनका सेवन बंद करने के बाद प्रजनन क्षमता सामान्य रहती है।
  • गर्भनिरोधकका उपयोग महिलाओं पर निर्भर है, इसके लिए पुरुष साथी की मदद की जरूरत नहीं पड़ती।
  • प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) यानी मासिक धर्म से पहले होने वाली समस्याओं जैसे – दर्द और चिड़चिड़ेपन को ये गोलियां कम कर सकती हैं(22)
  • गर्भनिरोधकगोलियों का सेवन हड्डियों के टिश्यू में खनिज की मात्रा बनाकर उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में फायदेमंद हो सकता है(22)

अभी आपने जाना कि जन्म नियंत्रण के अलावा गर्भनिरोधक गोलियों के और क्या फायदे हो सकते हैं, लेख के अगले हिस्से में जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन के जोखिम क्या हैं।

गर्भनिरोधकगोली लेने के जोखिम

गर्भनिरोधकगोलियां फायदेमंद और सुविधाजनक हो सकती हैं, लेकिन इनका सेवन कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

  1. अनचाहा गर्भ ठहर सकता है :गर्भनिरोधकगोलियां अनचाहे गर्भ से बचा सकती हैं, लेकिन 100 प्रतिशत नहीं। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नियमित रूप से और निश्चित समय पर न किया जाए, तो गर्भ ठहर सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रति वर्ष 100 में से 9 महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां खाने के बावजूद गर्भवती हो गईं। इसलिए, इनका सेवन ध्यान से करें और ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें(26)
  1. खून के थक्के या ब्लड क्लॉट :एनसीबीआई के एक अध्ययन में इस बात का उल्लेख है कि गर्भनिरोधक गोलियों में इस्तेमाल होने वाले प्रोजेस्टिन हार्मोन के कुछ प्रकार ब्लड क्लॉट के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ड्रोसपाइरोन (drospirenone) और डिसोगेस्टेल (desogestrel) नाम के तत्व नए प्रोजेस्टिन में पाए जाते हैं। ये थ्रोम्बोएम्बोलिक का कारण हो सकते हैं, जो एक प्रकार का रक्त विकार है। इसके कारण रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के बन जाते हैं, जो रक्त वाहिकाओं को बंद कर सकते हैं(27)
  1. कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है :वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि नियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (HDL-C), कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (LDL-C), टोटल कोलेस्ट्रॉल (TC) और ट्राइग्लिसराइड्स (TG) के स्तर को बढ़ा सकता है(28)।एक अन्य शोध के मुताबिक, हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन बॉडी मॉस इंडेक्स यानी वजन को बढ़ा सकता है। गर्भनिरोधक गोलियों का यह प्रभाव ह्रदय रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकता है(29)
  1. हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ाती हैं गर्भनिरोधक गोलियां :एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) के जोखिम को बढ़ा सकता है। जिन महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो उनके लिए गर्भनिरोधक के अन्य विकल्प ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकते हैं(30)
  1. गर्भनिरोधकगोलियोंकाजहरीलाप्रभाव:जानकारी के अभाव में गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक सेवन खतरनाक हो सकता है, लेकिन इस तरह के मामले दुर्लभ हैं(31)
  1. यौन संक्रमण का खतरा :गर्भनिरोधकगोली किसी भी तरह के यौन संक्रमण से बचाव नहीं करती है। इस बात को नजरअंदाज करते हुए कंडोम के बिना यौन संबंध बनाना जोखिम का कारण बन सकता है। हालांकि, गर्भनिरोधक गोली का सेवन किसी यौन संक्रमण का कारण नहीं बन सकती, लेकिन यह इन सब से बचाव भी नहीं करती। इसलिए, अगर यौन संक्रमण से बचाव को केंद्र में रखें, तो कंडोम से बेहतर कोई विकल्प नहीं है(13)

गर्भनिरोधकगोलियों से जुड़े जोखिमों को जानने के बाद आगे जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से क्या नुकसान हो सकते हैं।

गर्भनिरोधकगोली के नुकसान

गर्भनिरोधकगोलियों का प्रयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि वो ही इनके इस्तेमाल का सही तरीका बता सकते हैं। इन दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट यानी नुकसान भी हैं जैसे(32)

  • जी मिचलाना या उल्टी का आना गर्भनिरोधक गोलियों का एक सामान्य नुकसान है।
  • पेट में ऐंठन या सूजन महसूस हो सकती है।
  • पाचन संबंधी स्वास्थ्य समस्या जैसे दस्त या कब्ज इन दवाओं के सेवन से हो सकती हैं।
  • भूख में बढ़ोत्तरी या कमी हो सकती है।
  • वजन बढ़ना या वजन कम होना भी गर्भनिरोधक गोलियों का एक नुकसान हो सकता है।
  • त्वचा पर धब्बे या मुंहासे नजर आ सकते हैं।
  • चेहरे और हाथों-पैरों पर अनचाहे बालों में वृद्धि नजर आ सकती है।
  • मासिक चक्र के बीच में ब्लीडिंग हो सकती है या खून का धब्बा नजर आ सकता है।
  • मासिक धर्म के समय खून का बहाव कम या ज्यादा हो सकता है।
  • स्तनों में बदलाव जैसे कोमलता, कठोरपन या हल्का दर्द हो सकता है।
  • योनि में सूजन, खुजली, जलन और लालिमा हो सकती है।
  • सफेद पदार्थ (White Discharge) का स्राव हो सकता है।

नोट:उपरोक्त नुकसान अगर गंभीर रूप में नजर आएं, तो गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन तुरंत रोक दें और डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भनिरोधकदवाओं के नाम | Garbh Nirodhak Goliyon Ke Naam

बाजार में कई कंपनी की गर्भनिरोधक गोलियां मौजूद हैं। ध्यान रहे कि इन दवाओं का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है, हम यहां सिर्फ इन दवाओं के नाम बता रहे हैं। कुछ गर्भनिरोधक गोलियां सरकार द्वारा भी उपलब्ध कराई जाती हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं(11):

  • सयुंक्त गोलियां या मिश्रित गोलियां (Combination Pills)
  • माला एन. गर्भनिरोधक गोली (Mala N. Oral Contraceptive Pills)
  • सेंट्रोक्रोमन (ओरमेलोक्सिफेन) गोलियां (Centchroman (Ormeloxifene) Pills)
  • छाया नॉन स्टिरॉयडल गर्भनिरोधक गोली (Chhaya non steroidal Contraceptive Pills)
  • आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली (Emergency Contraceptive Pill)
  • ईजी पिल आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली (Ezy pill Emergency Contraceptive Pill)

ये थे कुछ गर्भनिरोधक गोलियों के नाम, जो सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं। आइए, आगे जानते हैं कि किन स्थितियों में डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

अगर गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से नीचे लिखे लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें (32)।

  • भयानक सिरदर्द, उल्टी या बोलने में परेशानी हो।
  • महिला को चक्कर आने लगे या बेहोशी हो।
  • कमजोरी महसूस हो और हाथ-पैर सुन्न हो जाएं।
  • छाती में दर्द हो या छाती में भारीपन महसूस हो।
  • खांसी के साथ खून आया या सांस लेने में परेशानी महसूस हो।
  • पैर या पेट में तेज दर्द हो।
  • आंखें सूजी हों, कुछ दिखाई न दे रहा हो और हर चीज दो नजर आ रही हों।
  • अधिक थकान, कमजोरी और ऊर्जा में कमी महसूस हो।
  • बुखार आ रहा हो या मूत्र गहरे पीले रंग का हो।
  • चिंता या अवसाद के लक्षण दिखाई दें।
  • असामान्य रक्तस्राव हो या लगातार 7 दिन से अधिक समय तक रक्तस्राव होता रहे।

गर्भनिरोधकगोलियों के सेवन से जुड़े कुछ पाठकों के सवाल हैं, जिनके जवाब देने का हम यहां प्रयास कर रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या गर्भनिरोधक गोली यौन रोग (STD) से बचाती है?

नहीं, गर्भनिरोधक गोलियां किसी भी तरह के यौन संक्रमण से नहीं बचाती हैं, यौन रोगों से बचने के लिए निरोध (कंडोम) का इस्तेमाल बेहतर विकल्प है(13)

क्या होगा अगर मैं अपनी खुराक लेने से चूक गई?

खुराक से चूक जाने पर गर्भ ठहर सकता है। अगर आप गोलियों का सेवन करना भूल गई हैं, तो अगले सात दिन तक शारीरिक संबंध के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें। यह गर्भ ठहरने से बचा सकता है(13)

गर्भनिरोधकगोलियां कितनी असरदार होती है?

गर्भनिरोधकगोलियों का सेवन अगर बिल्कुल उसी तरह किया जाए, जैसा डॉक्टर ने बताया है या दवा के पैकट पर लिखा है, तो ये गर्भधारण से 99 प्रतिशत सुरक्षा दे सकती हैं(13)

क्या स्तनपान कराते समय गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग कर सकते हैं?

स्तनपान करते समय गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन किया जा सकता है, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, जैसे(33):

  • स्तनपान के समय मिनी पिल यानी केवल प्रोजेस्टिन युक्त गर्भनिरोधक दवा का सेवन सही रहता हैं।
  • आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का एक प्रकार यूलीप्रिस्टल एसीटेट ( Ulipristal acetate pills) भी है, जिसका सेवन स्तनपान के दौरान नहीं करना चाहिए।
  • शिशु के जन्म के बाद एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टिन युक्त कम्बाइन गर्भनिरोधक गोली को छह सप्ताह तक न खाएं, क्योंकि इससेमां के दूध के उत्पादन में कमीआ सकती है। इस मामले में सटीक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

गर्भनिरोधकगोली खाने के बाद भी प्रेगनेंसी ठहरने के कारण?

गर्भनिरोधकगोली खाने के बावजूद प्रेगनेंसी ठहर सकती है। नीचे लिखे कारण इसकी वजह हो सकते हैं(13)

  • अगर आप एक दिन या उससे अधिक दिन गोली खाना भूल जाएं।
  • दो गर्भनिरोधक गोली के सेवन के बीच 24 घंटे से ज्यादा टाइम लिया गया हो।
  • अगर गर्भनिरोधक गोली लेने के तीन घंटे के अंदर उल्टी आ जाए या गंभीर दस्त लगे हों।
  • कुछ दवाओं का सेवन या घरेलू उपचार का इस्तेमाल भी गर्भनिरोधक गोलियों के प्रभाव को कम कर सकता है। इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

इस लेख में आपने गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन और उसके फायदों के बारे में जाना। हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद गर्भनिरोधक गोलियों के संबंध में आपकी सभी शंकाएं दूर हो गई होंगी। महिला स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण के लिहाज से गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग जरूरी है। इस पर कई वैज्ञानिक अध्ययन किए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक इन दवाओं के प्रभाव की पुष्टि नहीं की जा सकती है। गर्भनिरोधक गोलियों के व्यापक इस्तेमाल के कारण इस विषय पर और शोध किए जाने की जरूरत है।

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